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श्री नवकार महामंत्र कल्प साहणं कनिष्ठिकयोः एसो पञ्चनमुक्कारो वन्नमयं प्राकारं सवपावप्पणासणो जलभृतां खातिकां, मङ्गलाणं च सवेस्सि खादिरागारपूर्णा खातिकां, आत्मानं निश्चिन्त्य महाशकलीकरणं ॥२९॥
यह अंगरक्षा मंत्र सकलीकरण सहित है इसका विधान गुरुगमसे जानना चाहिए।
॥ अनुपम मंत्र॥ ॐ हाँ ही हौ हः अ. सि. आ. उ. सा स्वाहा ॥३०॥
इस अनुपम मंत्रको चित्त स्थिररखकर कायशुद्धिकर विधि सहित जाप करे तो अनुपम फलके देने वाला है।
॥ सर्व कार्य सिद्धि मंत्र ॥ ॐ ही श्री अर्ह अ. सि. आ. उ. सा. नमः ___ यह मंत्र सर्व कार्यकी सिद्धि करने वाला है शुद्धोचारसे स्थिरता पूर्वक आराधन करना चाहिए।
॥ वन्दीमुक्त मंत्र ॥ ॐ नमो अरिहन्ताणं उम्ल्यूँ नमः, ॐ
पा३॥