Book Title: Navkar Mahamantra Kalp
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

View full book text
Previous | Next

Page 71
________________ श्री नवकार महामंत्र कल्प ६३ सव्वसादृण ब्रह्माण्ड रक्ष रक्ष, ॐ ही एसो पश्चनमुकारो शिखां रक्ष रक्ष, ॐ ही सव्वपावप्पणासणो आसन रक्ष रक्ष, ॐ ही मगलाण च सच्चेसिं पढम हवइ मङ्गल ||३५|| इस मनकी सिद्धि प्राप्त करनेके बाद इक्कीस जाप करनेसे कार्य सिद्ध हो जाता है इसका विशेष स्पष्टीकरण गुरगमसे जानना चाहिए, इसका विशेष खुलासा असल प्रतमें नहीं है । इस मन्त्रमें सकलीकरणका भी समावेश है । || पथिक भयहर मध !! ॐ नमो अरिहन्ताण नाभौ, ॐ नमो सिद्धाण हृदये, ॐ नमो आयरियाण कण्ठे, ॐ नमो उवज्झायाणं मुसे, ॐ नमो लोग सच्चसाहण मस्तके, सर्वापु अम्ह रक्ष रक्ष हिलि हिलि मानहिनी स्वाहा ॥ रक्ष रक्ष ॐ नमो अरिहाण आदि ॐ नमो मोहिणी मोहिणी मोहय मोहय स्वाहा ||३६|| इस मत्रको साध्य करे और मार्गमें चलते समय

Loading...

Page Navigation
1 ... 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120