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श्री नवकार महामन कल्प
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॥ शत्रुभयहर मन ॥
ॐ ह्री श्री अमुक दुष्ट साधय साधय अ. सि. आ. उ. सा. नमः ||६०||
इस मत्रकी इक्रीस दिन तक मातःकालमें माला फेरे और उत्तर क्रियाके बाद जब काम हो उस समय अमुक सख्यामें जाप करे तो धनुका भय नष्ट होता है, आपचि व क्लेशका नाश होता है।
॥ रोग, क्षय मंत्र ॥
ॐ नमो सयोसहिपत्ताण, ॐ नमो खेलोसहिपत्ताण, ॐ नमो जल्लोसहिपत्ताण, ॐ नमो सव्वोसहिपत्ताण स्वाहा ॥ ६१ ॥
इस मंत्र के जाप से रोग पीडा मिटती है, न्याधि दिन दिन कम होगी एक माला सबेरेही फेरना चाहिए।
॥ व्रणहर मंत्र ॥
ॐ नमो जिगाण जावयाण पुमोणि भ एणि सनवायेण वगमापच उमाष उमाफुट् ॐ ॐ ठः ठः स्वाहा ॥६२॥