________________
४६
श्री नवकार महामंत्र कल्प चाहिए जिससे मङ्गलिक कार्यकी सिद्धिमें सहायता मिलेगी।
॥ इन्द्राव्हाहन मंत्र ॥ ॐ ही वनाऽधिपतये आँ ह्रा ए हूँ ह्रौ यूँ हूँ क्षः ॥२॥
प्राण प्रतिष्ठाके लिए आहवानन करनेको उपरोक्त मंत्र बताया है, इस मंत्रका इक्कीस जाप करके प्राण प्रतिष्टा करले ने बाद इसी मंत्र द्वारा निजकी चोटी (शिखा) जनेऊ कङ्कण कुंडल अंगुठी, वस्त्र आदिको मंत्रित करके सर्व सामग्रीको शुद्ध कर लेना चाहिए।
॥ कवच निर्मल मंत्र ॥ ॐ ही श्री बद वद वाग्वादिन्यै नमः स्वाहा ॥३॥ ___ कवच दो प्रकारके बताए गए हैं, एक तो यंत्र जिसको मादलियेमें रखते हैं और वह अष्टगंधसे भोजपत्र पर लिखा हुवा होता है, दूसरा श्री सिद्धचक्रयंत्र जिसका आलम्बन लेकर ध्यान करनेको