________________
प्रकरण
३५
साना तर्जनीके नीचे, आठवा अनामिकाके नीचेका, नौवा अनामिका के उपरका इस तरहसे बारह दफा गिनने से एक माला पुरी होती है, यह विधान खास काम हो और थोडा स्मरण हो उसमें उपयोगी होता है लम्बे जापमे और विशेष सरया में करना हो तो इस आवर्चसे गिनते समय भूल हो जाना सभव है इस आवर्त्तकामी चित्र देकर नम्बर दे दिये है सो जिज्ञासुको ठीक तरह समझ लेना चाहिए ।
ह्रीवर्त्त प्रकरण
ही मायानीज है जिसका वर्णन इसी पुस्तकमे आगे आवेगा यहा तो सिर्फ आवर्ता सम्बन्ध इस लिए यही बनाया जाता है, आपके खोज करने पर भी चरापर पता नहीं पा सके है तथापि जो प्राप्त कर सके हैं वही पाठकों के सामने रखते हैं । इसके दो आप हमे मिले है जिसमें पहला वर्त्त तो वर्जन उपरके पैसे चलता है, दूसरा मध्यमाके उपरका, तीसरा अनामिका के उपरका चोथा कनिष्ठा के उपरत्रा, पाचवा कनिष्ठाके मध्यका छठा अना