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श्री नवकार महामंत्र-कल्प अक्षर खानेकी है उनका पेट तो अक्षर खाये बिना भरेगा नही, नित्य खाली होगा और नित्य खावेंगे अतः ऐसी आदत हो तो त्याग करना चाहिए।
(४) चोथा अति अक्षर दोप, यह दोप तीसरे नम्बरके दोपसे मिलता हुवा है, जो बोलने में लिखनेमें शब्द पदको विगाड कर ज्यादे अक्षरका उपयोग करते हैं उनको चाहिए कि ऐसे दोपका त्याग कर देवे।
(५) पांचवें पदहीन दोष, वोलते समय पदको गाथा को भूल जाना या जल्दीके मारे जान बूझ कर कम बोलना और क्या वोलते हैं यह न तो खुद समझते हैं न दूसरा समझ पाता है अतः यह दोष हानि-कर्ता है, ऐसी आदत हो तो छोड देना चाहिए।
) (६) छटा विनयरीन दोष, सूत्र, मंत्र, स्तोत्र 'आदिके वोलते समय विनयकी आवश्यकता है, कोनसा सूत्र-मंत्र किस मुद्रासे बोलना और किस प्रकार नमृताका भाव रखना यह सब सीख लेना चाहिए जिन पुरुषोंमें यह अवगुण विनयहीनताका हो 'उन्हें चाहिए कि त्याग कर देवे।।