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॥ ॐ नम सिद्धेभ्य ।।
श्री नवकार महामंत्र-कल्प
मत्रमहिमा प्रकरण उपरोक्त मत्र-नवकार मनके नामसे जैनशासनमें प्रसिद्ध है, इसकी महिमा पारावार है, और जैन धर्ममें जितनी भी क्रिया व्रत नियम सयम ध्यान समाधी वताई गई है उन सबमें इस मनकी जरुरत होती है स्मरण जप ध्यान करने के लिए मत्र, स्तोत्र,
और स्तवन यह तीन बातें प्रसिद्ध है। मत्रका नाम जिस जगह आता है भ्याता पुरुष समझता है कि इसमें चमत्कार जरुर है, मत्रमें अक्षर थोडे होते है लेकिन प्रणवाक्षर मायावीज आदि सहित जिनमें यथाक्रमानुसार योजना होती है और उस मत्रके अधिष्ठाता देव होते हैं वही स्मरण करनेवालेकी भावनाको पूरी करते हैं। मनुप्यको निजकी भावनाएं पूर्ण करनेमें एक देवकी सहायता मिल जाती है इसी लिए मनुप्य मत्र द्वारा अपनी कार्य सिद्धिके लिए