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नवपद प्रकरण
उपरोक्तमनका विधान आवश्यक सूत्रकी निर्युतिके व्यानशतक में प्रतिपादित है सो आदरणीय है भवभीरु महानुभावोको जिज्ञासु होकर जानना चाहिए। इस मका वर्णन करते " महानिशीयसून " कहा है कि
नासेर चोर - सावय, विसहर जलजलण वधण भयाइ ॥ चितिजतो रस्सरणरायभयाइ भाषेण ॥
भावार्थ- चोर, सिंह, सर्प, पानी, अग्नि, वधनका भय, राक्षस, सग्राम, राजभय आदि उपस्थित हुवे हों तो पच परमेष्टिमत्र के जापसे और व्यानसे तमाम प्रकारके भय नष्ट हो जाते हैं । इसी सूत्रमें नरकारमत्र गिननेकी परिपाटी एक और तरह से मी बताई है ।
अरिहन्ता मुज महल, वरिहन्ता मुज देवय ॥ मरिदन्तेति कित्तस्सामि, बोसिरामिति पाग ॥१॥ मिया मुझ महल, सिद्धा मुज देवय ॥ मिद्धे ति कित्तरस्सामि बोसिरामित्ति पान ||२|| आयरिया मुज मङ्गल, आयरिया मुज देवय ॥ परिपनि वित्तस्नामि, वोसिरामित्ति पारंग ||३|| उपन्याया मुत्र देवय ॥ सामि प्रोसियमिति पाग ||४||
उपाय मुख म वायचि