Book Title: Nandanvan Kalpataru 2005 00 SrNo 15
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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वाचकानां प्रतिभावः
पूज्यमुनिवर्यश्रीविजयशीलचन्द्रसूरे !
सादरप्रणामाः ।
प्राप्ता विनूतना शाखा नन्दनवनकल्पतरोः । आभाणकजगन्नाथविभागे हासेन सह गम्भीरसत्यानि निरूपितानि सन्ति । "पत्रम्" विभागे पङ्कजस्य निरीक्षणमनेकदृष्ट्या कृतं, कारितञ्च । प्रारम्भतः एव "मङ्गलकलशः" इत्यस्याः कथायाः प्रवाहोऽविच्छिन्नरूपेण अचलत्, परन्तु कथान्तो नीरसोऽनुभूतः ।
डॉ. महेश्वरः द्विवेदी
नन्दपुरम् ।
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