Book Title: Nandanvan Kalpataru 2005 00 SrNo 15
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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__न मां सहन्ते
डॉ. अभिराजराजेन्द्र मिश्रः
अमी ध्वाक्षास्तथापि न मां सहन्ते पिकोऽहं साममाधुर्यं मदन्ते ॥१॥
पुरे ग्रामे वने पथि मरुवणे वा क्व यामि प्रायिकाः परितः प्लवन्ते ॥२॥
रहसि सम्प्रेक्ष्य चरितं वैष्णवानाम् मया श्रद्धाऽहिता सम्प्रति भदन्ते ॥३॥
कृतघ्ना लक्षकोटिमिताः समाजे कृतज्ञः कः कलावस्मिन् दुरन्ते ॥४॥
गृहे कामं त्वदीये मेऽस्तु निन्दा परन्त्वारते यशो मे दिग्दिगन्ते ॥५॥
अलम्मत्ताडनैः पटहोऽस्मि नाऽहम् धुवं वेणुस्समीहे चुम्बनन्ते ॥६॥
नमरयभिराजगीतकथानिबन्धाः क्व नो सम्प्रति खगीभूयोड्डयन्ते ॥७॥
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