________________
(१०६) ही कल्पना की है सो सर्वथा अयौक्तिक है. ऐसे ही पद्मपुराण प्रथमसृष्टिखंड अवतारचरित नाम त्रयोदशवें अध्यायमें ऐसा वर्णन है कि-बृहस्पतिने कृष्णका चितवन किया, कृष्णजीने मायावीपुरुष पैदा कर दिया और कहा कि यह मायापुरुष सकलदैत्योंको वेदधर्मसे भ्रष्ट कर देगा.
आगे चलकर इस मायापुरुषके बेषका वर्णन किया है सो दिगंबर वेष है, इससे सावित होता है कि पद्मपुराणका कर्ता दक्षिण देशमें हुआ होगा, क्यों कि वहां दिगंबरोंकी पुष्कल वस्ती है. शिवपुराणके कर्त्ताने जो मायावी पुरुषका भेष वर्णन किया है सो श्वेताम्बरके अनुकूल है इससे उसका को गुजरात मारवाड आदि जहां श्वेताम्बरोंकी घीच वस्ती है वहांका होना चाहिये, इससे पुराणोंका कर्ता एक ही व्यास है यह प्रथा असत्य सिद्ध होती है. और परस्पर इतने विरोध आते हैं कि तटस्थ होकर विचार करें तो तुरत ही समझ जाय कि यह अल्पज्ञोंके कल्पित कथन हैं और सर्वज्ञका कथन कहीं अन्यत्र ही है.
भागवत दश० स्कंध उ० अध्याय १३ वे में शिवजी और कृष्णचंद्रजीका परस्पर युद्ध होनेका बयान है. जिस युद्ध के देखनेसे उन दोनों देवोंमें दया ज्ञान शक्ति और मध्यस्थः ताका अभाव साबित होता है, जिससे वे परमात्मा किसी तरहसे साबित नहीं होते हैं.
अब ब्राह्मणलोग मांस खाते थे, हिंसा करते थे, दूसरोंको इन बातोंका उपदश करते थ, मांसादि भोजन देने वालेकी प्रशंसा करते थे, श्राद्धमें मांस विधेय है ऐसा कथन करते थे. और न खानेवालेको नरकमें भेजते थे सो स्मृति इति