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(१६९) संज्ञक पितरोंका यह भी वचन है कि जो सहद-मध आदिक मिष्ट पदार्थ से बने हुए पदार्थ है, उनसे वा गौके दुध और उसी दुधकी तस्मै-वीरके भोजन कराता है वह उसके पितरोंको अक्षय गुण होकर प्राप्त होता है. ॥ ३६ ॥
इस प्रकार उपरोक्त भावार्थवाले श्लोकोंके शिक्षणमें जरा भी धार्मिक शिक्षणका अंश होवे ऐसा कौन सहृदय स्वीकार कर सकेगा ?.
कौशिक ऋषिके सात पुत्रोंने गौको मार कर खा लिया और गुरुके पास झूट बोले कि, गोको व्याघ्र भक्षण कर गया. ऐसा जिकर हम आगे लिख चुके हैं, सो ही जिकर इस पुराणके २० वे अध्यायमें आता है.
विष्णुपुराण चतुर्थांश दूसरे अध्यायके चौथे पत्र पर वर्णन है कि
मनुको छींक आई और उसकी नाशिकामेंसे 'इक्ष्वाकु' नामका पुत्र उत्पन्न हुआ. " क्या इस बातको कोई मान सकता है कि छींक आनेसे नाशिकामेंसे लड़का गिरे १. हां, श्लेष्म जरूर गिरा होगा.
आगे यहहाल है कि उस इक्ष्वाकुने अपने — विकुक्षी' नामा पुत्रके पास अष्टका श्राद्ध के लिये मांसकी जरूरत बतलाई तब उसने वनमें जाकर अनेक मृगादि जानवरोंको जानसे मार डाला.
अब विचारना चाहिये कि इस प्रकारके श्राद्ध के बोधक शास्त्र मांसाहारीओंके बनाये हुए क्या नहीं सिद्ध होते?. और इन बातोंमें धर्मका होना क्या बन सकता है?, कहना ही
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