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(११९) शिवपुराण में शिवजीको बड़ा कहा और विष्णुने अपने नेत्रसे भी उनकी पूजा की, क्या ये शास्त्र है या लडकोंका खेल है?, जैसे धूलिक्रिडामें लडके किसी एक लडकेको राजा बना कर स्वयं सेवक वनते हैं, दूसरी दफा सेवक लडका राजा बनता है और राजा सेवक बन जाता है, इसी तरह किसी पुराणमें शिवजीको सबसे बड़ा साबित करते हैं वो किसी विष्णुको, क्या यह देवोंकी धूलिक्रीडा है या पौराणिकोंकी?, सो वाचक वर्गको स्वयं विचार कर लेना चाहिये.
वराहपुराण अध्याय १६० वेसे श्रीकृष्ण द्यूत क्रीडा भी किया करते थे ऐसा सिद्ध होता है, देखो" तस्मादुत्तरकोटिं च, दृष्ट्वा देवं गणेश्वरम् ।
द्यूतक्रीडा भगवना, कृता गोपजनैः सह ॥ ५२ ॥ "
इस श्लोकका मतलव गोवालियोंके साथ भगवान्ने जूआ खेला, भला ! जो लोग अपने भगवान्को जए बाज लिखें उन लोगोंने सत्य रास्ता पाया है ऐसा कौन बुद्धिमान् स्विकार कर सकता है ? - इसके बाद वराहपुराणके धरणी वराह संवाद फल श्रुति नामका २१७ वे अध्यायमें वराहपुराणकी इतनी तारीफ की है कि, जिसका हद हिसाव नहीं। तारीफ सार्थक है या निरर्थक इसका पता आगे पीछे मध्यस्थ भावसे वराहपुराण विचारनेवाला ही जान सकता है.
गरुडपुराण-पूर्व खंड प्रथमांशाख्य कर्मकाण्ड एतत्पु. राण प्रवृत्ति निरूपण नामके प्रथम अध्यायमें ईश्वर खुद