Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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-१६४] .
कुवलयमाला 1एसा । दे घर से पावेमि' त्ति चिंतयतेण भणिया। 'वञ्च वच्च, सुंदरि, जत्थ तुमं पत्थिया तं पएसं पावेमि । अहं तुज्झ 1
रक्खो, मा बीहेसु' त्ति भणिए गंतुं पयत्ता, अणुमग्गं राया वि । जाव थोवंतरं वच्चंति ताव दिवो इमीए ससंभमो एजमाणो १ सो चेय णिय-दइओ । भणियं च णेण ।
'दइगु ण सुंदरं ते रइयमिण जे इमी वेलाए । चलिया सि मज्झ वसई अणेय-विग्घाएँ राईए॥ ए-एहि, सागयं ते । ता कुसलं तुह सरीरस्स ।' तीए भणियं 'कुसलं इमस्स महाणुभावस्स महापुरिसस्स पभावेण' । दिवो 6 य णेण राया। भणिय च ण । 'अहो, को वि महासत्तो पच्छण्ण-वेसो परिभमइ' त्ति चिंतयंतेण भणिय अणेण जुवाणेण।
'ए-एहि सागयं ते सुपुरिस जीयं पि तुज्झ आयत्तं । जेण तए मह दइया अणहा हो पाविया एस्थ ॥' भणियं च राइणा । 9 'तं सुहओ तं रूबी तं चिय बहु-सिक्खिओ जुवाणाण । एइ गुण-पास-बद्धा जस्स तुहं एस धवलच्छी ॥' त्ति भणमाणो राया गतुं पयत्तो। राईए बहले तमंधयारे णयर-मज्झम्मि बहुए वियत-जुवाण-जुवलय-जंपिय-हसिओग्गीयविलासिए णिसामंतो संपत्तो पायारं । तं च केरिसं । अवि य । 12 तुंगं गयण-विलग्गं देवेहि वि जण लंघियं सहसा । पायालमुवगएणं फरिहा-बद्धण परियरियं ॥ ___ तं च पेच्छिऊण राइणा दिण्णं विजुक्खित्तं करणं । उप्पहओ णहंगणं । केरिसो य सो दीसि पयत्तो । अवि य ।
विजुक्खित्ताइहो दीसइ गयणगणे समुप्पइओ । अहिणव-साहिय-विज्जो इय सोहइ खग्ग-विज्जहरो॥ 15 ण हु णवर लंघिओ सो पायारो तुंग-लग्ग-णह-मग्गो। पडिओ समपाओ च्चिय फरिहा-बंधं पि वोलेडं ॥ अणुत्तुणो चेय गंतुं पयहो।
१६४) किं बहुणा संपत्तो तमुजाणं, जत्थ समावासिओ भगवं धमगंदगो। पविटो य अणेय-तरुयर-पायव18 वल्ली-लया-सविसेस-बहलंधयारे उजाण-मज्झम्मि। उवगओ य सिंदूर-कोट्टिम-समीवम्मि । दिवा यण साहुणो भगवते । 18 कम्मि पुण वावारे वट्टमाणे त्ति।
केइ पढंति सउण्णा अवरे पाढेंति धम्म-सत्थाई । अवरे गुणेति अवरे पुच्छति य संसए केइ ।। 21 वक्खाणंति कयत्था अवरे वि सुणेति के वि गीयत्था। अवरे रएंति कब्बं अवरे झाणम्मि वहृति ॥
सुस्सूसंति य गुरुणो वेयावच्चं करेंति अण्णे वि । अण्णे सामायारि सिक्खंति य सुत्थिया बहुसो ॥ दंसण-रयणं अण्णे पालेंति य के वि कह वि चारितं । जिणवर-गणहर-रइयं अण्णे णाणं पसंसंति ॥ अवि य । सुत्तत्थ-संसयाइ य अवरे पुच्छति के वि तित्थेय । णय-जुत्ते वादे जे करेंति अब्भास-वायम्मि ।। धम्माधम्म-पयत्थे के वि णिरूवेंति हेउ-वादेहिं । जीवाण बंध-मोक्खापयं च भावेंति अण्णे वि ॥
तेलोक-चंदणिजे सुकज्झाणम्मि के वि बटुंति । अण्णे दोग्गइ-णासं धम्मज्झाणं समल्लीणा ॥ 7 मय-माण-कोह-लोहे अवरे जिंदति दिठ्ठ-माहप्पा । दुह-सय-पउरावत्तं अवरे गिदंति भव-जलहिं ॥ ___ इय देस-भत्त-महिला-राय-कहाणस्थ-वजियं दूरं । सज्झाय-झाण-गिरए अह पेच्छइ साहुणो राया ॥
तं च दट्टणं चिंतिय राइणा । 'अहो, महप्पभावे भगवंते जहा-भणियाणुट्टाण-रए। ता पेच्छामि णं कत्थ सो भगवं धम्म30 गंदणो, किं वा करेई' त्ति चिंतयंतेण णिरूवियं जाव पेच्छइ एयंते णिविटुं। ताण तहियस-णिक्खताणं पंचण्ह वि जणाणं ..
धम्मकई साहेमाणो चिट्ठइ । चिंतियं य राहणा। 'दे णिसुमि ताव किं पुण इमाणं साहिजइ' त्ति चिंतयंतो एकस्स तरुण-तमाल-पायवस्स मूले उवविट्रो सोउं पयत्तो त्ति ।
1) वितियंतेग, वच्चावच्च. 2) तु for गंतुं. 3)P सो चेय नियय. 4) P सुंदरं तो इयमिणं. 5) Jom. एएहि सागयं ते, I तीय. 6) तेण for tण, P के वि, P चिंतियतेण, P भणियाणेण, Pom. जुवाणेण. 7) J सुवुरिस. 9) ईथ for एइ, J जर for जरस. 10) Jom. त्ति, P राई बहले, Jणायरमज्झमि, P वियट्टः, P जुवलजंपियरियं, P om. सिओग्गीयविलासिए etc. to बद्धेण परियरियं. 13) P। वं च दहण राहणा, P किरणं for करणं. 14) P°क्वित्ताइट्ठा, P गयणंगणं, ' सायिचि जो. 15) नवरं, J तुंगमग्गणहलग्गो, J बंधम्मि. 16)P अणुत्तरो चेय, J पयत्तो।. 17) तरूपायव, P पायवल्ली. 18) बहुलंधयारे, P om. य, P समीवं 1, Pom. भगवते. 20) पठंति, P सुगंति for गुणेति, JP om. य, P संसयं, केई. 21) Pom. कयत्था अवरे वि सुणेति, P केइ गीयत्था, J रयंति. 22) P समायारी. 23) J सालेति (some portion written on the margin) पालंति, Jom. अवि य. 24) संसयाई, P तत्थेय, P सहत्थोभयजुत्तो for णयजुत्ते, वादे ये P वादे य, P अब्भासं ।. 25) P केइ, P हेउवाएहिं, P मोक्खोगई च, पावेंति for भावेति. 26) विंदणिज्जा. 27) 'माइप्पे. 28) P वजिया. 30) P om. ति, JP चिंति° for चिंत', P अंतो for एयंते, P तदियह दिक्खियाण पंचण्ह. 31)Pom. चिटूड, Pदे सणियं सुणेमि. 32)P मूले उवस्स मूले उवः'
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