Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 132
________________ १०२ उज्जोयणसूरिविरइया [६१८३ 1 एत्येतरमि से आय कम्मं ति तेण संगहिये । केवल-णाणुष्पत्ती तस्स सभी दो वि जावाई ॥ एवं च तक्खणं चेय तत्तिय-मेव-काळाओ अंतगड-केवली दोहिद नि ते भामो जहा एस अम्हा सच्चा वि पढने सिद्धिं चिहि । अम्हाणे पुणे दस-वास लक्खाउयाण को वञ्चति । १८४ ) इमं च रणेदुरखाये णिलामिसवाचे तियसिंदष्पमुहाणं सुरासुराणं मणुषाण व मतं कोडयं समुप्पणं । भत्ति बहु-माण-सिद्द कोडव-विध्भर-हिणं सुरिंदे भारोविनो यिय-करयले सो रणुदुरो । भविंच 6 वासवेणं । 'अहो, चिय जए कमरथ देवाण विसिवंदणेजो सि । अम्हाण पडम सिद्धो जिण जो तं समाइटो ॥ भो भो पेच्छह देवा एस पभावो जिनिंद-मग्गस्स । तिरिया विजं सउण्णा सिज्झति अनंतर भवेण ॥ 9 ते चिय बेंति जिणा अहह्यं सव्वेसु चेय सत्तेसु । जं एरिसा वि जीवा एरिस-जोणी समल्लीणा ॥' एवं जड़ा वासवेग वहा य सब सुरिंदेहिं दय-गाडेहि य नरवई-साहिं थाहा पेप्यमाणो राम कुमारो विव पसंसिजमाणो उवबूजितो विकरितो तो परिवेदिओ पूऊन पसिओ अहो पण्णो, अहो पुण्णवंत, अहो कयो, अहो 2 12 सलखो, अहो अम्हाण वि एस संपूर-मगोरहो ति जो अनंतर जम्मे सिद्धिं पाविहर ण अण्णा जिणवर-वयणं ति ॥12 एयम्मि अवसरे विरइयंजलिउडेण पुच्छियं पउमप्पह- देवेणं । भणियं च णेण 'भगवं, अम्हे भव्वा किं अभव्य' ति । भगवया भणियं ' भव्वा' । पुणो देवेण भणियं 'सुलह-बोहिया दुलह-बोहिय' त्ति । भणियं च भगवया 'किंचि 15 णिमित्तं अंगीकरिय सुलह-बोहिया ण अण्णह' ति । पउमप्यहेण भणियं 'भगवं, कइ भव- सिडिया अम्हे पंच चि जणा' । 15 भगवया भणियं 'इलो भने सिद्धिं पाविह पंच वि तुम्' ति । भणिषे पडसमे 'भगवं, इत्तो चुका कत्थ उप्पनिहामो' ति भगववा भवियं इस तुमं च वणियउत्तो, पडमवसे उण रायडतो, पठमसारो उण 18 रायच्या, पडमचंदो उण विंले सीहो, पडमसरो उण पडवर तो 'ति । इमे च भणमागो समुद्रो भगवं 18 धम्म- तित्थयरो, उवघरिये समवसरणं पवजिया हुंदुही, उडियो को पट्टो यासको बिहारि च पयझे भगवं कुमुद-संड-बोहओ वित्र पुष्णिमायंदो । अम्हे वि मिलिया, अवशेप्परं संलावं च काउमादत्ता । एकमेक्कं जंपिभो 'भो, 21 गिसुयं तुब्भेहिं जं भगवया आइटुं । तओ एत्थ जाणह किं करणीयं सम्मत्त लंभव्थं' ति । तओ मंतिऊण सव्वेहिं 'अहो, 1 को विवाणियउत्त, अण्णो रायउत्तो, अवरो वणे सीहो, अण्णो राय-दुहिय चि । ता सव्वहा निसंटुलं भावडियं इमं कर्ज | ताण याणामो कई पुन बोहि हामी अम्हाणं पुण समागमो व दोन' ति 'वा सव्वा इसे गुत्थ करणीयं तितिहिं 24 भणिये । 'अहो पउमकेसर, तुमं भगवया आइडो, 'पच्छा चविहिसि', ता तए दिव्वाए सत्तीए अम्हाणं जत्थ तत्थ गयाणं 24 सम्मतं दायव्वं, ण उण सगा सुंदरी-वंद्र तुंग-थण-थल-पेलणा-सुहलि-पम्हुट्ठ-सयल- पुण्व- जंपिएण होयव्वं' । तेण भणियं । 'देम अहं सम्मतं, किंतु तुम्मे मह तस्स वि मिच्छतोवहयमाणा ण पत्तियायहिद । ता को मए उबाओ कायप्यो' त्ति । 27 तेहिं भणिये । 'सुंदर संता एवं पुणस्य करणीयं । अन्तगोत्तणो रुवाई जे भविस्साई रवण-मयाई काऊण एकम्मिल ठाणे निखिति तय का वाई सिर्जति ताई कमाई पुण्य जम्म सरणं साहिष्णात्रेण धम्म-परिवत्ती वा भवेज' भिमाणेहिं निम्मविवाह असणो स्व-सरिसाई रवणे पढिरुपया ताई च विखाई गोवणे जन्य सीटो 30 उपजिहि चि तस्स य उरें महंती सिला दिष्णन्ति । तं च काउण उवगया शिवय विमानं तत्थ भोए झुंजता 30 जहा सुई अच्छि पयत्ता तओ कुमार कुमचंद्र जो सो ताण मन्दो पदमपो देवो सो एक चेय केरियो जाओ । अवि य, 3 2 ) Pom., 1) P, after तरस, repeats अउव्वकरणं खभगसेढी etc. to केवलनाणुपची तरस मेत्तकला(त) ओ Jom. त्ति, एसो for एस. (3) P सहरसाउ for लक्खाउ, बच्चिर Pवच्च उ. 5 ) करयलंजलि ( णे ? ) 8 ) P सहावो for पभावो, P भवेसु. 9 ) P तेयणं for तेगं, P अहियं. 10 ) P वावेण्ण for वासवेग, 3 om. य, नरवर, P हत्थाहस्थेहिं रायकुमारो. 11) P उवगूहिज्जंतो, Pom. वणिज्जं तो (of J ? ), विपरिअंदिओ P पसंसिऊ. 12 ) " सव्वधा for अहो before अम्हाण, P संपन्न for संपूर, जिगवयणं. 13 ) Padds य before अवसरे, विरइय पंजलि. 14 ) अम्हा for भव्वा after भणियं, Jom. पुणो देवेण भणियं, दुलहबोधिअत्ति 15 ) P अंगीकरी सु, P पमप्यभेण, कतिभव- 16 तो for इओ, पाविहित, J तुम्हेहिं | P तुभेति । इदो चुका P इतु चुया. 17 ) उपज्जीहामो, " संपज्जिहामो. J इतो for इओ, Pom. परमवरो उण रायउत्तो, Pढमसारो. 18) rom. उण before विज्झे सीहो ( in P ), उमवरस्स पुतो भगाओ 19 ) विरिहरिडं Pom. एतो कुगु 20 addit पुणिमादी 21)त. 22 ) अत्रे रायउत्तो, " दुहिओ त्ति, सिंधु 23 ) Pता एवं ण-, Pom. पुणे, om. ति 24> P पउमकेसरं, P विहसि 25) p adds दाऊण before सुंदरी-, र त्थलारूपेलणा 26 ) र मदिसंास्स मिच्छत्तो", P तं for ता. 27> p om. पुग before एत्थ, P अत्तिणो रुवाई, Pom. जं, J भविस्स. 28 ) थाणे निमंतिणिक्सिम्मंति 29 ) P वि for ताई च, P inter. जत्थ and वणे. 31 ) पमप्पभो 30 J विमाणे, P भुंजित्ता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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