Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 243
________________ उज्जोयणसूरिविरइया अगणिय- कज्जाकज्जा रागद्दोसेहिँ मोहिया तइया । जिणवयणम्मि ण लग्गा एहि पुण किं करीहामो ॥ जइबा थिए बलिया कलिया सत्तीए दप्पिया हियए । तझ्या तबे ण लग्गा भण एहि किं करीहामो ॥ 3 जइया विहर-देहा खत्ता तव संजमम्मि उज्जमिण व तया उजमियं हि पुण किं करीहामो ॥ जइया मेहा-जुत्ता सत्ता सयलं पि आगमं गहिउं । ण य तझ्या पव्वइया एहि जड्डा य बड्डा य ॥ इय विलिय-व-ज-ला संगमम्मि असमया। पच्छावाव-परदा पुरिया झिजेति चिंता ॥ जर तवा चिरमंतो सम्म महादुमस्स पारोहे अज दियहम्मि होतो सत्ये परमस्व-भंगिलो || 1 1 तया विरमंती सुय जाण महो वहिस्स तीरम्मि उतो अज-दिगं भरवाईं य सेस रयणाई ॥ जइ नया विरतो आहो जिण-परिस-पोयम्मि संसार-महाजाहिं लाए चैव तीरंतो ॥ जइ तइया विरमंतो तव-भंडायार- पूरियप्पाणो । अज्ज-दिणं राया हं मुणीण होंतो ण संदेहो || जइ तया विरमंतो वय-रयण-गुणेहिँ वढिय-पयावो । रयणाहियो त्ति पुज्जो होंतो सव्वाण वि मुगीणं ॥ जइ वया विरमंतो रज्ज महा-पाव संचय विहीणो झति खर्वेतो पावं वय-संमिओ अनंत पि ॥ जई वझ्या विरमंतो तब संजम गाण-सोसियावरणो णागाण के पि गाणं पायेंतो अइस एि इय जे बालत्तणए मूढा ण करेंति कह वि सामण्णं । सोयंति ते अणुदिणं जराऍ गहियाहमा पुरिसा ॥ या जइ कह पि पावर अम्हं पुण्गेण को वि आयरिभो । ता पव्वयामि तुरियं जलं म्ह रजेण पावेणं ॥ 1 12 15 २१४ ६ ३३२ ) इमं च चिंतयंतस्स पटिये पहाउय पाढगुणं । अनि य । हय- तिमिर- सेण्ण-पवडो विडिव-तारा भटो पण्डु-ससी विश्य-पयाय-पसरो सूरगरिंदो समुग्गमद ॥ इमं च सोऊण चिंतियं राइणा 'अहो, सुंदरी वाया-सउण-विसेसो । अवि य । गिजिय-गुरु- पाव तमो पणट्ट-गुरु-मोह-णरवइप्पसरो । पसरिय णाण-पयावो निण-सूरो उग्गओ एहि ॥ चिंतयंत जंभा-वस-वडिलमाण-भु-फलिहो, 'नमस्ते भोग निर्मुक नमस्ते द्वेष वर्जित नमस्ते जित मोहेन्द्र नमस्ते ज्ञान भास्कर ।' 1 2. इति भो समुह सपणाओ तो कुवलयमाला वि 'णमो जिणाणं, णमो निगाणे' ति भणमाणी संभम-वस- ललमान- 2 खलंतुत्तरिज्जय- वावडा समुट्टिया । भणिओ य णाए राया 'महाराय किं तए एत्तियं वेलं दीहुण्ह-मुक-णीसासेणं चिंतियं आसि' । राइणा भणियं किं तए लस्त्रियं तावतं चेय सासु पच्छा अहं साहीहामो' सि कुवलयमालाए भणियं । 24 "महाराव, मए जागिये जहा तया विजयपुरवरीए णीहरंतेग तए विण्णत्ता पत्रयण देवया जहा 'जइ भगवई, जियंत पेच्छामि गरणा, रजाभिसेयं च पावेमि, पच्छा पुर्त्त अभिविचामि पुणो पवनं अंते गेण्हामि । ता भगवद, देसु उतिमं सड'ति भणिय मेते सय-य-सणाणं उत्तिमं आयवन्त श्यर्ण समधियं पुरिसेणं तो तुम्हेहिं भणियं 'दए उत्तमो 27 एस सउणो, सब-संपत्ती दोहि मम्हाणे'ति । ता सम्बं संजाये संप पव्चना ज पेप्पड़' ति । इमं त चिंतियं' ति | 8: णरवइणा भणियं 'देवि, इमं चेय मए चिंतियं' ति । अवि य । I संपइ अहिसिंचामो संजम रजम्मि जइ लम्हे ॥ 18 पुहईसार- कुमारो अभिसितो सगल पुहइ रज्जम्मि 30 कुवलयमालाए भणियं । 'देव, [६ ३३१ जाव इमं चिंतन अणुदियां सूखमाण-हियएहिं ताव वरं रयमिणं तुरियो धम्मस्स गइ-मग्गो ॥' राइणा भणिवं । 'देवि, जइ एवं वा मग्गामो कवि भगवंते गुरुणो जेण जहा- चिंतिये काहामो' त्ति भतो राया ॐ समुट्ठिओ सयणाओ, कायव्वं काऊण समाढत्तो । 1) रायोसेहिं, P गोहिय तईया, P करीहार for करीहामो and then repeats four lines from बलुम्मत्ता तझ्या ctc. to एहि पुण किं करीहामो, J adds a line जइया मेहंजुत्ता सत्ता सयलं पि आगमं गहिउं which occurs at its place below ( line 4 ) 2 ) वितीय P वितीए for थिईए, बलिया for कलिया, दूणिया for दप्पिया 3 ) P उज्जमियं, P तझ्या उज्जमिया 4 ) P सयलंमि आगमं, P एहिं जड्डा. (5) परद्धा परिम्म हिज्जेति 6 ) P भंगिले. 7 ) Pom. य, P सीस for सेस- 8 ) P सइया for तश्या र पोतम्मि. 9 ) P पूरियप्पण्णो. 10 ) P रयणायरोति पुरिसो होतो. 11) संचिय, P ज्झत्ति, P अनंतंमि. 12) P सोहिया भरणो. 13 > P सामणं - 14 ) P कोइ for को वि, JP अलम्ह 16) Jom. राडी, निविविसि for सि. 17) रो 19 ) P चिंतयं भावसलिलि ओबेलमाणुभुय. 21 ) Jom. गमो जिगागं ति P संभव, P ललमागंतुत्तरिज्जग 22 ) तुत्तारे जंतय. 23 ) P रायणा, तं चिय, साहिगोत्ति 24 ) Jom. महाराय मए जाणियं, विजयपुरीए 25 ) P अभिसंचयामि, वत्तिमं for उत्तिमं 26 ) Pom. दब्ब, P उत्तमं P repeats उत्तमं आयवत्तरयणं, तुम्भेहिं for तुम्हेहिं P चइए for द. 27) होही for होहिंदू, P सव्वत्तं जायं संपयं पव्वज्जा, J adds च before तए. 28) J adds y before देवि . 29 ) [ असहिसितो सुयलपुर जंगि. (31) P (नितिज्जंति, P गतिमग्गो. 32 ) देव for देवि, कल्थ for कत्थवि. Jain Education International For Private & Personal Use Only 1 30 33 www.jainelibrary.org

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