Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 257
________________ २२८ . उज्जोयणसूरिविरइया [६३५ एक्को चिय एस जिओ जायइ एको य मरइ संसारे । ण य ह कस्सइ सरणं मह अण्णो णेय हो अत्थि ॥ ण य मज्झ कोइ सरणं सयलो सयणो ब्व परजणो वा वि । दुक्खम्मि णस्थि विदिओ एक्को अह पञ्चए णरए । एवं चिंतेंतीए भाविय-एगत्तणाए तुह एहि । सयणेसु अवेइ फुडं पडिबंधो सुट्ट वि पिएसु ॥ ण य परजणेसु रोसो णीसंगो भमइ जेण चित्तेण । पारंपरेण मोक्खो एगत्तं चिंतए तेण ॥ अण्ण इमं सरीरं अण्णो है सव्वहा विचिंतेसु । इंदिय-रहिओ अप्पा सरीरयं सेंदियं भणियं ॥ अण्णं इमं सरीरं जाणइ जीवो वि सव्व-भावाइं । खण-भंगुरं सरीरं जीवो उण सासओ एत्थ ।। संसारम्मि अणते अणंत-रूवाई मज्झ देहाई । तीयाणि भविस्संति य अहमणो ताणि अण्णाणि ॥ एवं चिंतेतीए इमम्मि लोगम्मि असुइ-सरिसम्मि । ण य होइ पडीबंधो अण्णत्तं भावए तेण ॥ अह भणसि कहं असुई सरीरमेयं ति तं णिसामेहि । पढम असुइय जोणी बिइयं असुइत्तणं च तं अंते ॥ असुइय-भायणमेयं असुई-संभूइमसुइ-परिणामं । ण य तं तीरइ काउं जेण सुइत्तं इमं होइ॥ पढम चिय आहारो पक्खित्तो क्यण-कुहर-मज्झस्मि । उल्लेजइ सेंभेण सेंभट्ठाणम्मि सो असुई॥ तो पावइ पित्तेण अंबिल-रस-भाव-भाविओ पच्छा । पावइ वायुहाणं रस-खल-भेदे य कीरए तेण ॥ होइ खलाओ मुत्तं वचं पित्तं च तिविह-मल-मेओ । रस-भेओ पुण भणिओ सो णियमा तीय सन-विहो ॥ जो तत्थ रस-विसेसो रत्तं तं होइ लोहियं मासं । मासाओं होइ मेओ मेयाओ अट्रिओ होति ॥ 15 अट्टीओ पुणो मज्जा मज्जाओ होइ सुक्क-भावेण । सव्वं च तं असुइयं संभादी सुक्क-पजतं ॥ णह-दंत-कण्ण-णासिय अच्छी-मल-सेय-सेंभ-वच्चाणं । असुई-घरं व सुंदरि भरियं राओ कहं होउ ॥ असुईओ उप्पण्णं असुई उप्पजइ त्ति देहाओ । गब्भे व्व असुइ-वासे असुई मा वहसु सुइ-वायं ।। उदु-काल-रुहिर-बिंदू-णर-सुक्क-समागमेण पारद्धं । कललम्वुद-दवादी-पेसी संबद्धए एवं ॥ बाल-कुमारय-जोवण-मज्झिम-थेरत्त-सव्व-भावेसु । मल-सेय-दुरहि-गंधं तम्हा असुई सरीरं तु ॥ _ उच्चट्टण-पहाण-विलेवणेहिँ तह सुरहि-गंध-वासेहिं । सव्वेहि वि मिलिएहिं सुइत्तणं कत्थ तीरेज ॥ सव्वाई पि इमाई कुंकुम-कप्पूर-गंध-मलाई । ताव च्चिय सुइआईं जा देहं णेय पावेंति ॥ देहम्मि पुणो पत्ता खणेण मल-सेय-गंध-परिमिलिया। ओमालयं ति भण्णइ असुइत्तं जति सब्वे वि ॥ तम्हा असुइ सरीरं सुंदरि भावेसु जेण णिब्बेओ । उप्पजइ तुह देहे लग्गसि धम्मम्मि णिण्गेहा ॥ 24 चिंतेसु आसवाई पावारंभाइँ इंदियस्साई। फरिसिंदिय-रस-विवसा बहुए पुरिसा गया णिहणं ॥ फरिस-सुहामय-लुद्धा वेगसरी गेण्हए उ जा गभं । पसवण-समए सच्चिय अह दुक्ख पावए घोरं ॥ बहु-करिणी-कर-कोमल-फरिस-रसासाय-दिण्ण-रस-लोलो । बज्झइ वारीबंधे मत्त-गओ फरिस-दोसेण ॥ इह लोए चिय दोसा परलोए होइ दुग्गई ताण । फार्सिदिय-लुद्वाणं एत्तो जिभिदिय सुणसु ॥ मय-हत्थि-देह-पविसण-रुभण-वासोह-पत्त-उयहि-जले । जह मरइ वायसो सो धावंतो दस-दिसं मूढो । हेमंत-धीण-घय-कुंभ-भक्खणे मूसओ जहोइण्णो । गिम्हम्मि विलीयंते मरइ बराओ रसण-मूढो॥ 30 गोटासण्ण-महदह-वासी कुम्मो जहा सुवीसत्थो । रसणेंदिय-लोल-मणो पच्छा मारिजइ वराओ॥ जह मास-पेसि-लुछो घेप्पइ सेणो झसो व्व बडिसस्स । तह मारिजइ पुरिसो मओ य अह दोग्गई जाइ॥ घाणिदिए वि लुद्धो ओसहि-गंधम्मि बज्झए सप्पो । पललेण मूसओ वा तम्हा मा रज्ज घाणम्मि ॥ 33 रूवेण पुणो पुरिसा बहुए णिहणं तु पाविया वरया । दीवेण पयंगो इव तम्हा रूवं पि वजेसु ॥ 1) जायति, Pण for य, P अह for मह. 2) Pinter. मज्झ & कोइ, P om. सयलो, ' सुयणो for सयणो, P सुवणो for व्व परजणो, P बीओ for बिदिओ. 3) Pएग for एगत्तणार, P सुयणेनु, पडिबद्धो र पडिबुद्धो, J सुहुँ वि, P पएसु. 4) P परजणेय रोसो, P भगइ जेण, Pएगंतं. 5JसेंदअंP संदियं. 6) अयणं for अण्णं, J repeats after सासओ एत्थ ।।, a verse fron above ण य परजणेस रोसो etc. toचिंतए तेण and some other portion. 7) Pom. अणते. J तीताणि, J अह अण्णो ताणं अणाईणि, P अहमन्ने. 8) J लोअंमि, J पडीबद्धो पडिबंधो. 9) Pअसती सरीरमेत, सरीरमेतं,J बितियं, P चितिद for बिइयं, P om. च तं. 10) Pअसुई भोयणमेत्तं असुती,J-संभूतअसह-, जोण for जेण. 1i) Pसंमेणं संभट्टाणमि, J जो असुई P सो असुती. 12) F अंबरसंभाव-, I भावितो, P पावई असुइट्ठाण, J रसविलभेतेण कीरए. 13) Pमुत्तुं कोमलमाति for तिविहमलमेओ. Jom. a line रसभेओ पुण etc. 14)Jलोहिआ. J मेज्जो मेताओ, P अदिए. 15) P पुणो मिज्जा मिज्जाओ, J सुक्कसंवेण P मुकभावे. 16) I-मासिअ-, Poin. अच्छी, उसेतसेंभवचार, P सेंत for सेंभ, P -घरयं संदरि, P राउं, 'होद. 17) P असुतीओ, J उप्पज्जति, P गब्भो, P-वासो असुती, J सुइवातं. 18) Pउवकाल, J कललब्बुदवूहादी P करललंबुदव्वदादी. 19)J कुमार-, J पेरंत for थेरत्त,J -गंधे. 20) Pसम्वेहि मि मिलिएहिं मि, मल्लेहिं for मिलिएहिं. P कुंकुर-,J चिय असुअई, P जावेहं. 22) परिमलिआ. 23) Pom. जेण णिवेओ etc. to णिपणेहा ॥ चिंतेसु, चिरया for विवसा. 24) Pइंदियस्सीई. 25) P सुरहामय, J वेगसरीरगेण्हए, तु for उ. 26) P बहुकरिसरसायदिन्नरस, P बज्झति, P महागओ. 27) Pदुग्गती. 28)P -वासोयपत्त, P दसदि सि. 29)जहोइण्णा. 30) लोलुमणो. 31)P घेप्पद मयणो, J पडिसरस P बडियरस, P वि for य. 32) P तम्हा मारेज-33) P पुरिसो, P पावया, J पतंगो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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