Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 260
________________ - ६३५१ ] कुवलयमाला । 1 1 आप्पाल- पसंगी कुट्टो बुद्धी जो कग्यो य बहु-दुक्स-प्रोय-पउरे मरि णरपम्मि सो जाइ ॥ कज्जत्थी जो सेवइ मित्तं कय-कजो उज्झए सढो कूरो। पिसुगो मइ दुम्मइओ तिरिओ सो होइ मरिऊण ॥ अक्षे-महत्तो अकोणो दोस-जिलो सझो ण य साधु-गुजेसु डिओ मरिडं सो माणुसो होइ ॥ तब-संजम दाण र पवईए मवो किंवा य गुरु-विषय-रओ निबं मनो वि देवेषु सो जाइ ॥ जो चलो सढ-भावो माया- कवडेहिँ वंचए सुचणं । ण य कस्सइ वीसत्थो सो पुरिसो महिलिया होइ ॥ संतुट्टा सुविणीयाय अजवा जा धिरा व णिर्थ सर्व जंपर महिला पुरिलो सा होह मरिऊण ॥ आसं वसह पसुं या जो छपि हु करे सो सन्वाण विहीणो णपुंसो होइ लोगम्मि ॥ मारेइ नियमो जीवे परलो व मण्णए किंपि भइ-किलि-कम्मो प्याऊ सो भवे पुरियो । 9 मारेइ जो ण जीवे दयावरो अभय-दाण-परितुट्ठो । दीहाऊ सो पुरिसो गोयम भणिओ ण संदेहो ॥ देइ णयियं संतं दिष्णं हारेइ वारए देंतं । एएहिँ कम्मएहिं भोगेहिँ विवज्जओ होइ ॥ सयणासण-वत्थं वा पत्तं भक्खं च पाणयं वा वि । हियएण देइ तुट्टो गोदम भोगी णरो होइ ॥ अगुणो य गव्वओ चिय जिंदइ रागी तवसिणो धीरे । माणी विडंबओ जो सो जायइ दूहवो पुरिसो ॥ गुरु-देवय साधूर्ण विषय-परो संत-सणीओ व ण य के पि भणद कहुये सो पुरसो जाए सुभगो ॥ तच-गाण-गुण-समिदं अवमण्ण किरण वाण एसो मरिण सो उष्णो दुम्मेदो जायए पुरियो । जो पढइ सुणइ चिंतइ अण्णं पाढेइ देइ उवएसं । सुद-गुरु-भत्ती जुत्तो मरिडं सो होइ मेहावी ॥ जो जंत-दंड-कस- रज्ज-खग्ग- कोंतेहि कुणइ वियणाओ । सो पात्रो णिक्करुणो जायइ बहु-वेयणो पुरिसो ॥ जो बने विणते मोयावह बंधणालो मरणानो कारुण्य-दिष्ण-हियो योवा अह वेवणा तस्स ॥ 8 मारेह खाह पियह य किं वा पढिएण किं व धम्मेण । एयं चिय चिंतेतो मरिऊणं काहलो होइ ॥ 2 5 4 7 3 3 जो उण गुरुयण-सेवी धम्माधम्माइँ जाणिउं महइ । सुय-देवय-गुरु-भत्तो मरिडं सो पंडिओ होइ ॥ बिजा विष्णार्थ वा मिच्छा विणण गेव्हिड पुरियो । अवमाइ आयरियं सा विना निष्फला तस्स ॥ बहु मण्णइ आयरियं विषय- समग्गो गुणेहिं संजुत्तो । इय जा गहिया विजा सा सहला होइ लोगमि ॥ देमि त्तिण देइ पुणो आसं काऊण कुणइ विमुहं जो । तस्स कथं पि हु णासइ गोयम पुरिसस्स अहमस्स ॥ जे जे इटुं लोए तं तं साहूण देइ सव्वं तु । थोवं पि मुणइ सुकयं तस्स कयं णो पणस्सेज्ज ॥ 1 ॥ जो हरइ तस्स हिजइ ण हरइ जो तस्स संचओ होइ । जो जं करेइ पात्रं विवरीयं तस्स तं होइ ॥ पशु-पक्खि-मसाणं वाले जो विप्पज सकामे सो अणवचो जायद अह जाओ तो जो होइ दया- परमो बहु-पुतो गोदमा भने पुरियो । अमुषं जो भणइ सुर्य सो बहिरो जावए पुरियो ॥ अहि चिय दिहूं जो किर भासेज कह वि मूढप्पा । जबंधो सो जायइ गोदम एएण कम्मेणं ॥ जाइ-मरम्मत-मयो जीवे विकिण जो पग्यो य सो इंदभूइ मरिडं दास वच पुरिसो ॥ जो उण चाई विणओणओ य चारित-गुण-सयाइण्णो । सो जण-सय-सम्माओ महिडिओ होइ लोगम्मि | जो वाहेद णिसंसो छाउब्वायं च दुक्खियं जीयं । सीयंत गत्त-संधिं गोदम सो पंगुलो होइ ॥ महु-वाय अग्गि- दाहोदद्दणं जो कुणइ कस्सइ जियस्स | बालाराम विणासो कुट्टी सो जायए पुरिसो ॥ गो-महिस-प कर अभारारोवणेण पीडेइ । एएण णवरि पावेण गोदमा सो भवे खुज्जो ॥ उच्छिमसुंदरयं पूई जो देह अण्ण-पाणं तु । साहूण जाणमाणो भुत्तं पि ण जीरए तस्स ॥ MawUNION 3 ) 3 उज्जय for अज्जब, P दीस for दोस, 5 ) P सुयणो । वुद्धि for वद्धिय, भतं च पाणियं, 1 ) Jबुद्धीय, बहुसोगदुक्खपउरे, । जायइ ॥ 2 ) P उब्भए, मयगुम्मइओ साधुगणेगु, P मुट्ठ for साधु, P डिओ. 4 ) P भद्दओ for मद्दवो, P जाय for जाइ. 6 ) सुविणीता, P om य, अज विजा, अत्थिरा for जा थिरा, P सो for सा. 7) आसवस, सव्वाण णिहीणो, लोअम्मि 8 ) Pom. जीवे 9 गोदम 10 ) एतेहिं, P कंमेहिं- 11 ) देश दुट्ठो, Pom. गोदम, P सोगी for भोगी. 12) P अगुणेविगव्विओ P धीरो ।, P मोणी for माणी, दूहगो. 13 ) P साहूणं, P सुहओ. 15) P सुयगुरु. 16) Jदण for दंड. 17 ) J थोआ 18 ) P मारेयह, P खाह पीयह किं, Pom. चिय. सफला, लोम 22 ) तिन देमि, गोतम. 23 ) P देइ दवं तु, P पणासेज्जा. 25 ) P माणुसाणं, नगर विजा. 26) गोवमा सुतं 27 फिर for चिव, गोयम, 29 ) उण मादी बिगओ व तो मयुत्तमणो नोनारदभूती सयसमओ, लोयंमि. 303 सीतंत, P संधी गोयम 31 ) Jघात, P को for जो, P कस्स वि. गोवम एसो. 33 ) उचिम पूर्ति पुर्व for पूर्व P भन्त for अनि जिम , Jain Education International For Private & Personal Use Only 21) P विप्पयुंजइ P 28 ) २३१ एते उ for जण P 32 ) P पसूकरमं, P 9 1 3 6 12 15 18 21 24 27 30 33 www.jainelibrary.org

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