Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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उज्जोषणसूरिविरइया
३८८) एवं च तय दियहे पहाय-वेलाए पुणो वि भणिउं समादत्तो । अविव । कीरड भोग-पसंगो जड़ फिर देहम्मि जीविर्य अचलं अह उणि काजो पडिदिइ गडवेट अणं ॥ पाव काऊण पुणो लग्गइ धम्मम्मि सुंदरो सो वि । सा वि सइ च्चिय णरवर जा एइ पहाय - समयमि ॥ मा अच्छसु संसारे णिचिंतो वीर बीह मच्चुस्स । मयरेण सह विरोहो वासं च जलम्मि णो होइ ॥ भोग-तिसिनो वि जीवो पुण्णेहिं विणा ण श्रेय पाने उट्टो जड़ परिओ बिय पंगुरिलो भागसु सो के धम्मं ण कुणइ जीवो इच्छइ धम्मप्फलाइँ लोगम्मि । ण य तेल्लं ण य कलणी वुड्ढे तं पयसु वडयाई ॥ जो कुइ त इई सो पर होए सुदाइँ पावेइ जो सिंह सहबारे सो साउ फलाएँ चसेह ॥ णवर ण परं दो ँतरस य णरवर अवस्स फिर णास एवं ॥ एरियो पुरिलो बडबड-मुम्म पडिया भाटय-मज्झमि से भगसु ॥ इय वीर पाव- भोए भोत्तुं णरयम्मि भुंजए दुक्खं । खासि करंब णरवर विडंबणं कीस णो सहसि ॥
जह इच्छसि परलोगो इह णत्थि अह जो अलसो थिय धम्मं अहिलस
३०९) एवं पुणो चउरथ-दिव-राईए पभाय- समए णिवं पतिजमार्ग जय महारावाहिराव- सेचिय, जाणामि कमल-मउर चलने एयाण तुझ जुयईण सरणं ण होति णरए कुप्पेजमा वीर ॥ कोमल-कदली- सरिसं ति जाणिमो वीर णरए ण होइ सरणं मां कुष्पसु तेण तं भणिमो ॥ एयाण नियंबडं पिहुलं कल-कणिर-कंचि दामिलं । णरए ण होइ सरणं वीरम्हे जूरिमो तेण ॥ पीणं पल-मुंहारावल सोहि च थणव गरए ण होइ सरणं भणामि धम्मक्रं तेण ॥ वियसिय सयपराणिभं मुहवंदं जइ वि वीर जवईण दीहर-पहल- धवलं णयण हुये जह वि बीर जुवईण इय जाणिण णरवर ताणं सरणं च णत्थि णरयम्मि
गरए ण होइ सरणं शेण हियं तुझ तं भणिमो ॥ गरए ण होइ सरणं चिंता मद तेण हिययम्मि ॥ तम्हा करेसु धम्मं जर चिय जेण णो जासि ॥ जय महारावाहिराय, जय,
$ ३९० ) एवं च पुणो पंचम- दियह राईए पहाय-समय- वेलाए पुणो पटियं सर्ग गएण णरवर तियसिंद-विलासिणीहिं सह रमिये कंसार-भणस्त्र व पत्ती गरिथ भोएस ॥ मणुयत्तणे वि र बहुसो भुतं चलंत चमरालं जीवस्य णत्थि वोसो रोरस्स व वण-निहाएण ॥ असुरसणे व बहुसो तो देवि-परिगो रमिलो तह वि ण जाय तोसो जलणस्स व वीर कहिं ॥ जक्सत्तणम्मि बहुसो रमिवं बहुयाहिँ जक्स-जुई वह वि तुह थि तोयो दि जलस् व जहिं ॥ बहुसो जोइस वासे देवीयण-परिगएण ते रमियं वह विण भरियं चित्तं गरिंद गर्ग व जीनेहिं ॥ इय णरवर संसारे पत्ताइँ सुहाइँ एत्थ बहुयाई । जीवस्स ण होइ दिही वढ्इ राओ तह वि एहि ॥ ६ ३९१ ) एवं च छ-दिवह राईए पाय समए पुणो पटियं जय महारावाहिराय, जय अवि य । सुलारोपण-डंभण-वेयरणी-लोह-पाण- दुक्खाईमा पम्हुस चित्तेर्ण मा होसु असंभवो वीर ॥
पटिहिति3) एति प्रभाव P
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यह हाथ-गुरु-भारारोवणाई तिरियते । पम्हुट्टाइँ खणेणं किं कर्ज तुम्ह शरणाह ॥ जर - खास-सोस - वाही - दूसह - दारिद्द - दुम्मणस्साई । पत्ताइं मणुयत्ते मा पम्हुस वीर सव्वाईं ॥ अभियोग पराणती चयण-पलाबाई वीर देवसे । दुखाइँ पस्तुसंतो किं णं कुणास हिवयम्मि ॥ असुइ-मल- रुहिर-कदम-मालिओ गभवास मज्झमि वसिओ सि संपर्क थिय वीर तुमे कीस पम्हुई ॥ कोमिंगो किमि व्व जणणीए जोणि-दारेणं संप णीहरिको थिय पहुई पेग कमेणं ॥ 1) परिउमादतो. 2) भोष फीर for फिर, कालंगि for समयम्मि 4 ) विग्भ for बीह, वासो, Jom च किं for णो. 5 ) P उद्धो वत्थविहिओ केण सो भणसु for the second line उट्ठो जइ etc. 6 ) Jलोअम्मि, P वयटाई. 7 ) जो किर धावर णरवर सो खायइ मोरमंसाई for the second line जो सिंचाइ etc., P से for सो, P नरवेई for चवखेद. 8 ) J परलागो णत्थि अह इहं ण परं । दोलंतरस, P इह इई नवरं न य तेलं । 9 ) P अहिसर, पंडया, मज्झं पि तं भणया ॥. 10 मोच्छिसी for भुंजए, विलंबयं कीसु णो सहसि. 11) जय महाराजा हिराजसेविय. 12 ) P जुवईण, उ होइ for होंति, कयली, P - जुवलं, P जाणि नो वीर, धीर for वीर. 14 ) P किंचि for कंचि, P वीरम्हे झूरिभो. 16 ) Pinter. जर वि & वीर, P जुवतीण, Pom. . 17 >दीहरवम्ल, पंभल, P जुवतीण. 18 ) P नरयंति ।. 19 ) P रातीए, Pom. समय, P भणियं for पढियं. 20 ) P रमिउं, J धज्जती for पुज्जती 21 ) P adds before वि, P चत्तं for भुत्तं, Pधणनिहाणेण 22 > P परगओ, P सार for वीर. 23 ) P रमिओ, Padds टुं before जक्ख, r जुवतीहिं, P जलगरस व जलणेहिं. 24 ) जोतिस, परिगए ते, P रमिउं ।, गयणं जादेहिं . The letters on this folio ( No. 227 ) in J are rubbed and not clearly readable. Padds, after जीवेहिं । three lines : इय नरवर संसारे पत्ताई सहाई एत्थ बहुसो । जोइसवासे देवीयणपरिगएण ते रमिडं ॥ तह विन भरियं वित्तं नरिंद गयणं च जीवेहिं । 25 ) P संसा for संसारे, होइ दीही वट्टर, Padds इ before राओ. 26 ) P -राती पहाय -, P पुवि for पुणो 27 ) P सूलारोयणेणं किं कज्जं तुम्ह, i. c., it omits a portion of about three lines ending with पम्हुट्ठाई खणे. 29 ) Pखासे, P दुमणरसाई- 30 J अहियोग, P अभिगओ परागत्ती कंकणलवाईं वीर, P कुणसे 31 ) कद्दमपमालिओ, Jom. वसिओसि 32 ) जणणीय जोणिभारेणं.
तंसि मा धीर. 13 )
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