Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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.२२७
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-३५२]
कुवलयमाला । तइय चिय मे णायं जइया अवरोप्परेण जंपंता। किं-किं पि विहसमाणा जह एस ण सुंदरो पुरिसो॥
ता संपइ कत्थ गओ कत्थ व मग्गामि कत्थ वञ्चामि । जो चोरिऊण वच्चइ सो किर ओवलब्भए केणं ।। 3 ति भणमाणो पुणो पुणो वि अलियमलिय-दुक्ख-भर-मउलमाण-णयण-जुवलो विमुक्क-णीसह-वेवमाण-सब्बंगो णिवडिओ 3 धरणिवढे । पुणो वि सो विलविङ पयत्तो।
हा दइए हा मह वल्लहिए हा पिययमे अणाहो हैं। कत्थ गया वर-सुंदरि साहसु तं ता महं तुरियं ॥ ति । अवि य। 6 तुज्झ कएणं सुंदरि धण-जण-कुल-मित्त-बंधवे सव्वे । परिहरिए जीयते तुमए पुण एरिसं रइयं ॥ इमं च अलिय-पलवियं सोऊण मुद्ध-सहावाए चिंतियं वणिय-दारियाए जहा 'किर तेण मह पइणा इमस्स महिला उच्चालिऊण अण्णथ णीया होजा । ता एरिसो सो अणजो णिकिवो णिग्घिणो णिद्दओ अणप्पणो कयग्यो पावो 9 चंडो चवलो चोरो चप्फलो पारदारिओ आलप्पालिओ अकज-णिरओ त्ति जेण मह भाउणो महिलं बलविऊण !) कहिं पि घेत्तण पलाणो त्ति । अवि य ।
तुज्झ कए परिचत्तो घर-परियण-बंधु-वग्ग-परिवारो। कह कीरउ एत्ताहे अणज्ज भण विप्पियं एक ॥ 12 दइओ त्ति इमीऍ अहं मरइ विमुक्का मए त्ति णो गणियं । अह कुणइ मज्झ भत्तिं भत्तो अवहथिओ कह णु ॥ 12
अह एस मह विणीया तुमए गणियं ण मूढ एवं पि। मोत्तण ममं णिद्दय का होहिइ एरिसा महिला ॥
एस महं किर भाया एसा उण साल-महिलिया मज्झ । गम्मागम्म-विवेगो कह तुह हिययम्मि णो फुरिओ ॥ 15 ता जो एरिस-रूवो माइलो कवड-कूड-णिण्णेहो । किं तस्स कएण अहं झिजामि असंभला मूढा ॥
३५२) जाव य इमं चिंतिउं पयत्ता ताव मए भणियं । 'सुंदरि, एरिसे ठिए किं कायव्वं' ति । तीए भणियं ___णाहं जाणामि, तुम जाणासि किमेत्थ करणीय' ति । भणियं च मए । 'सुंदरि, 18 को णाम एत्थ दहओ कस्स व किर वल्लहो हवइ को वा। णिय-कम्म-धम्म-जणिओ जीवो अह भमइ संसारे । अवि य। 18
सव्वं इमं अणिञ्चं धण-धणिया-विहव-परियणं सयलं । मा कुणसु एत्थ संगो होउ विभोगो जणेण समं ॥ सुंदरि भावेसु इमं जेण विओगे वि ताण णो दुक्खं । होइ विवेग-विसुद्धो सम्वमणिचं च चिंतेसु ॥ जह कोइ मय-सिलिंबो गहिओ रोद्देण सीह-पोएण । को तस्स होइ सरणं वण-मज्झे हम्ममाणस्स ॥ तह एस जीव-हरिणो दूसह-जर-मरण-वाहि-सिंघेहिं । घेप्पइ विरसंतो चिय कत्तो सरणं भवे तस्स ॥ एवं च चिंतयंतस्स तस्स णो होइ सासया बुद्धी । संसार-भउब्धिग्गो धम्म चिय मग्गए सरणं ॥ एस अणादी जीवो संसारो कम्म-संतति-करो य । अणुसमयं च स बज्झइ कम्म-महाकसिण-पंकेण ॥ णर-तिरिय-देव-णारय-भव-सय-संबाह-भीसण-दुरंते । चक्काइन्छो एसो भमइ जिओ णत्थि से थामं ॥ ण य कोइ तस्स सरणं ण य बंधू णेय मित्त-पुत्तो वा । सव्वो चिय बंधुयणो अव्वो मित्तं च पुत्तं च ॥ सो णस्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि जो ण जीयाण । सव्वाण आसि मित्तं पुत्तो वा बंधवो वा वि ॥ होऊण को वि माया पुत्तो पुण होइ दास-रूवो सो । दासो वि होइ सामी जणओ दासो य महिला य ॥
होऊण इत्थि-भावो पुरिसो महिला य होइ य णपुंसो। होऊण कोइ पुरिसो णदुंसय होइ महिला वा ॥ 30 एवं चउरासीई-जोणी-लक्खेसु हिंडए जीवो। रागद्दोस-विमूढो अण्णोपणं भक्खणं कुणइ ॥
अण्णोणं वह-बंधण-घाउव्वेवेहि पावए दुक्खं । दुत्तार-दूर-तीर एयं चिंतेसु संसारं ॥ एवं चिंतेतस्स य संसार-महा-भएण गहियस्स । णिन्वेओ होइ फुड णिविष्णो कुणइ धम्म सो ॥
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1) तइउ, P पि वहसमाणी. 2) गओ जत्थ व, P ओवलंभए णं के त्ति. 3) om. one पुणो, जुअलो. 4) J om. वि सो. 5) दयए, P om. हा मह, J adds हा before अणाहो, कत्थ गयासि तुमं । अवि य. 6) " जाण for जण, P रतियं. 7) Jवलवियं (विलवियं ?), J जह किर. 8) P उद्दालिऊण अणत्थ, P om. कयग्धो. 9) P inter. चंडो & चवलो, P परदारिओ आलपालिओ, J अयज्जणिरओ, P भाइणो. 11) rom. परिचत्तो धर, J परिआरो, I एयाए for एत्ताहे. 12) P दइ त्ति इमीप हं, P अम्गो for भत्तो. 14) Pसा for साल. 15) J तउ for ता, P माइण्यो, r inter. कूड कवड, महं for अहं, P असंगलाढा. 16) Pमए भणिओ।, P ट्ठिए, तीय. 18) I inter. णाम & एत्थ. 19) Pघणवणिया, होइ विजओगो. 20) विआए for विओगे, विवो for विवेग, J णिचं ति चिंतेइ. 21) P को वि. 22) P सिंवेण । 23) JP om. तरस, J सासता, I भवुम्बिग्गो, " धमो चिय. 24) P अणाई, I संततिकरो P संततिरो. 25) I माणुस for णारय, P सो for से. 26) को वि तस्स, J तत्थ for तरस, Pणेय पुत्त मित्तो वा, सियो for अब्यो. 27) " को वि for कोइ. 29) J पुरुसो, P होइ अणुपुरिसो।, Pणपुंसय. 30) J चउरासीती ' चउरासीतिजोणि. 31) Jघायुवेहि न पाउखेवेहिं, उ एवं for एय. 32) निद्धेओ होइ पुर्ड, से for सो.
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