Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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-३४५] .
कुवलयमाला महब्वय-रयणं कहं पुण सुरक्खियं साहुणो हवइ' त्ति । भगवया भणियं । अणुवीइ य भक्षण एत्तियं ति साहम्मिउग्गहो चेय । अणुणाय-भत्त-पाणो मुंजणए ताओ समिईओ ॥ देविद-राय-सामंत-वग्गहो तह कुटुंबिय-जणस्त । अणुवीइ वियारेउं मग्गिजइ जस्प जो सामी॥ वक्खित्त-कोव-मागेहँ होज दिण्णो कया वि केणावि । मग्गिज्जए य भिक्खं अवग्गहो तेण कजेण ॥ इह सुत्तनांथ इह मंतया एयम्मि होज मे उयही। अवियत्तं मा होहिइ अवग्गहो एत्तिओ अम्हं॥ पासत्थोसण्ण-कुसील-संजया होज सङ्ख्या वा वि । तं जाइऊण जुजह साहम्मियवग्गहो एसो॥ उसस-णीसस-रहियं गुरुणो सेसं वसे हवइ दव्वं । तेणाणुण्णा भुंजइ अण्णह दोसो भये तस्स ।। एयाओं भावणाओ कुणमाणो तत्तियं वयं धरइ । एत्तो वोच्छामि अहं मेहुण-विरइ ति णामेण ॥
३४४) काम-महागह-गहिओ अंधो बहिरो व्व अच्छए मूओ । उम्मत्तो मुच्छियओव्व होइ वक्खित्त-चित्तो य॥ विब्भम-कडच्छ-हसिरो अणिव्वुओ अणिहुओ य उभंतो। गलियंकुसो व्च मत्तो होइ मयंधो गयवरो व्व। अलियं पि हसइ लोए सवियारं अप्पयं पलोएइ । उग्गाइ हरिसिय-मणो खणेण दीणत्तणं जाइ ॥ विहसिजइ लोएणं एसो सो जिंदिओ जणवएण। कज्जाकजं ण-यणइ मोहेण य उत्तुणो भमइ ॥ परदार-गमण-दोसे बंधण-वहणं च लिंग-छेदं च । सव्वस्स-हरणमादी बहुए दोसे य पावेइ ॥ मरिऊण य पर-लोए वच्चइ संसार-सागरे घोरे । तम्हा परिहर दूरं इत्थीणं संगम साहू॥ अह कोइ भणइ मूढो धम्मो सुरएण होइ लोगम्मि । इत्थीणं सुह-हेऊ पुरिसाण य जेण तं भणियं ॥ आहारं पिव जुज्जइ रिसिणो दाउं च गेण्हिडं चेय । जं जं सुहस्स हेऊ तं तं धम्मप्फलं होइ॥
एयं पि मा गणेजसु दुक्खं तं दुक्ख-कारणं पढमं । तं काऊण अउण्णा उति कुगई गई जीवा ॥ 8 दुक्खं च इमं जाणसु वाहि-पडीयार-कारणं जेण । पामा-कंदुयणं पिव परिहर दूरेण कुरयं तं ॥
असुहं पि सुहं मण्णइ सुहं पि असुहं ति मोहिओ जीवो। दुक्ख-सुह-णिव्विसेसो दुक्खं चिय पावए वस्सं ॥ पामा-कच्छु-परिगओ जह पुरिसो कंडुय-रइ-संतत्तो । णह-कट्ठ-सक्कराहिं कंडयणं कुणइ सुह-बुद्धी ॥
तह मोह-कम्म-पामा-वियणाए चुलचुलेत-सवंगे। सुरय-सुहासत्त-मणो असुहं पि हु मण्णइ सुहं ति ॥ एवं च भगवया तियसिंद-णारद-वंद-सुंदरी-वंदिय-चलणारविंदेण साहिए समाणे भगवया पुच्छियं गोयम-गणहारिणा 'भगवं इमं पुण मेहुण-वेरमण-महव्वय-महारयणं कहं पुण सुरक्खियं होइ' ति। भणियं च भगवया। 14 वसहि-कहा-महिलिंदिय-पुव्वणुसरणं पणीय-रस-भुत्ती। एयाओं परिहरंतो रक्खइ मिहुणव्वयं पुरिसो॥
इत्थि-पसु-पंडय-वजियाएँ वसहीऍ अच्छइ णीसंगो। सज्झाय-झाण-गिरओ इय बंभे भावणा पढमा । इय छेयाओ ताओ णायरियाओ चलंत-णयणाओ। किलिकिंचिय-सुरयाइं इत्थीणं वजए साहू ॥ थण-जहण-मणहराओ पेच्छामि इमाओं चारु-जुवईओ । इय बंभवेर-विरओ मा मा आलोयणं कुणसु॥ इय हसिय इय रमियं तीय सम मा हु संभरेजासु । धम्मज्झाणोवगओ हवेज णिचं मुणी समए ॥
मा भुंजेज पणीयं घय-गुड-संजोग-जोइयं बहुयं । जइ इच्छसि पालेडं बभब्वयमुत्तमं धीर ॥ 10 एयाओं भावणाओ भावेतो भमसु भाव-पब्वइओ। संपइ वोच्छामि अहं परिग्गहे होंति जे दोसा ॥
६३४५) कुणइ परिग्गह-सारं जो पुरिसो होइ सो जए लोभी। अग्गि व्व इंधणेणं दुप्पूरो सायरो चेव ॥
लोभाभिभूय-चित्तो कजाकज्जाइँ णेय चिंतेइ । अज्जेंतस्स य दुक्खं दुक्खं चिय रक्खमाणस्स ॥ 33 लुद्धो त्ति एस लोए णिदिजइ परिभवं च पावेइ । णटेसु होइ दुक्खं तम्हा वोसिरसु परिगहणं ॥
1) मुक्खियं, 2) अणुवीर अभक्खण अभिक्खाण, P भत्तपाणे भुंजणाए, J समितीओ P समिता. 3) सामं for सामंत, Jom. वगहो. 4) विक्खित, Pमाले हिं for माणेहिं. 5) P मताई for मंतयाई, होहिति P होहित्ति. 6) I संजता, , अट्टया for सया, PM for तं. 7)P तेणाणुसोयं for तेगाणुण्णा, P वर for भवे. 8) तत्तियं वतं न तश्ययं वयं. 9) होई P होति. 10) विम्हम, P कडक्खः, P अणिच्छओ, अणिहिओ. 11) P लोएइ for सवियारं अप्पयं पलोएइ. 12) P निंदओ. 13) P छेयं, I हरणमाती, P सो for दोसे, I पावेति. 14) P पलोए बच्चइ संसायरे, P परिहरइ. 15) P सुरते कहन for सरएण होइ, Jलोअंमि. 16) Padds, after जुज्जइ, पुरिसा एएणं मारिओ अहं पुन्छ । तेण मए मारिज्जा तस्सेय जो देश ।। अवरे विहियंति, हे तं. 17) P कुगई गई. 18) Pवाहीपडियार, J पतीआर. 19) Pच for पि सुह, Pom. पि, P मुहं for असुई. 20) Pपामाकंडूपुरिंगओ, J कंडुअरति, P कंडूयणं. 21) P कंमपावाविणयाते चल चलेंतसव्वंगं, J विअणाय चुलुचलेत. 22) गोतम-, ' गणहारिणो. 23) मेहुणं वेरमण, P वेरमणं महव्वयं, P पुण रक्खियं भवइ ति ।. 24) P रसभोई।, J एताए for एया ओ. 25 J इत्थीपसुपंडिय, वसईए अच्छ णीसंको, P निस्संगो, Pएगंते for इय बंमे. 26) Padds य after ताओ, P किलकिंची सुरयादी. 27) P थणहरनमणथराओ, I आलोवणं. 28) P ओ for हु, P धम्मज्झाणावगओ. 29) J संजोअ, P इच्छह, P वीर for धीर. 30) एताओ, P भातो for भावेतो, P adds संपदओ before संपइ. 31) Jसे for सो, चेय. 32) JP "भूतचित्तो, J अजंतरस- 33) P परिवं.
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