Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 210
________________ -$२८६ ] • कुवलयमाला 1 भो भो तुमं पि चंपय दोहल-कज्जेण चुंबिओ बहुसो । मा होज मज्झ दोसं खमसु य तं परिभवं एक्कं ॥ वियलंत - कुसुम - बाहोह- दुम्मणा मज्झ गमण-सोएण । आउच्छिया सि पियसहि कुंदलए दूर-गमणाए ॥ अणुयत्त नियय-दइयं एयं सहयार- पायव - जुयाणं । पइ-सरणा महिलाभो भणिया णोमालिए खमसु ॥ रोविया मए चिय पुणो वि परिणाविया तमाले धूए मावि एण-वाणिमो कत्थ दम्बा ॥ भो भो पियाल - पायव दिण्णा मे जूहिया सिणेहेण । एयाऍ तं कुणेज्जा जं किं पि कुलोइयं तुज्झ ॥ स चिय पुष्णागो पुंणाग तुमं ण एत्य संदेहो भालिंगिजख तं चिय सयंवरं माविलवाहिं ॥ रेणाय तुमं पि पुणो बहुसो विणिवारिओ मए आसि । मा छिवसु कुंदलइयं एहि तं खमसु दुब्वयणं ॥ हिंता खमसु एण्डि बहुसो जं विदुरं मए भणिये । किसलय करना शिषं पिरंगु इयं फरिमाणो ॥ भो भो कयं तं पहु अणुयत्तसु पाडलं इमं वरई । छेए वि हु सप्पुरिसा पडिवण्णं णेय मुंचति ॥ अजविण दीसह बिय रतं कुसुमं इमाणु बंधूपु मा तुरेजसु चैपय जणस्स कालो फलं देइ ॥ हे हे पिगु-लए वारिजंती वि मुंच मा दइयं । एसो असोय-रुक्खो पेम्मेण ण हीरद्द कयाई । जाइ-विसुद्धा सि तुमं चंपय-दइयं ण मुंचसे जेण कुलवालियानो लोए होंति चिय मुद्र-सीलाओ ॥ इय एवं भणमाणी चिर-परिइय-पायवे खमावेंती । उव्वाह-वाह णयणा रोत्तुं चिय सा समादत्ता ॥ ६ २८६ ) संठानिया य सा सहियगेणं समागया णिव भवणं तत्थ व दिडाई णाणाबिहाई घर-सउण- सावय 15 समूहाई, भणिउं च पयत्ता, अवि य । मुद्दे ण जीवसि थिय मित्र-रहिया व मई तुमं मया। ता पसरसु बच्चामो आउछ जो लिवो ॥ सारसि मरसि सरती मुचामि कई इमो व ते दइओ । दोणि वि यच यो भावडियो अंध-संतो ॥ क्षणं रुइर-कलावं मोरं तुह मोरि परिहिमो आम्हे धीरा मा रस-विरसं परिहासो मे कभी मुद्दे ॥ सिणि सरस-सिणेहे दिवस भगसु दास-ससि-सरिसं बच्चा सामिणीए समर्थ सम- दुक्ख सोक्खाए ॥ चक्काइ तुमं रयाणं दइय-वियोगम्मि णेसि मह पासे । ता वञ्च्चसु मा णिवडउ विओय वज्जासणी तुज्झ ॥ मा होंतु विसेण व ते चलोरि यणाएँ पिययम-निए गुंजाफल-सरिसाई वचसु समयं पि दद्दरण ॥ पढ कीरि किंचि भणिया दय-विभोयम्मि पडिडिसि अलक्खं पत्था बन अणुव-सरिसं विरह-वनं ॥ आयलय-त्ततो जग वितए साहिलो म्ह दद्दवस्त पिसुने कुविया सह मुंचामि ह सारिए करस ॥ इय कीरि- मोरि - सारंगि सारिया-चक्क-सारसि चओरिं । भणमाणी सा वियरइ स णेउरा चारु-तरलच्छी ॥ एवं च उच्छ कुनैतीए समागया लग्ग-वेला तरथ कथं धवलदरस्य बहु-मज्जा-देस-भाए सम्ब-घण्ण-विरुकुरा चाउरंतयं 1 तत्थ य दहि-भक्खय- सुवण्ण- सिद्धत्यय - दुब्बंकुर - रोयणा-सत्थिय-वद्रुमाणय-णंदावत्त- पत्त-छत्त- चमर- कुसुम27 भासणा-जर्वकुर-परमादिए सवे दिव्य-मंगले विवेसिए । ताणं च सम्झे हिणव- पलव-किसलयालंकि तिव्बोदय-भरिवं 27 कणय-परम-पिहाणं चंदण-चनिक-चचियं विद-मंगल-रक्खा-सुत्तयं कणय कसं ठाविधं । तो तत्थ व संठिया दोणि वि पुग्वाभिमुद्दा, वंदिया रोयणा, कयाई मंगलाई । एत्थंतरस्मि ताव य संपत्तं लग्गं । पूरिओ संखो । भणियं 30 संवच्छरेण 'सिद्धि'त्ति । ताव य उच्चालिओ दाहिणो पाओ कुमारेण । कुवलयमालाय वि वाम-चलणं चालियं । पयत्त- 30 गंतु, णिक्खता बाहिं । संख-भेरी- तूर- काहल - मुइंग-वंस- वीणा - सहस्स- जयजयासह - णिग्भरं गयणयलं आसी । समुहस्स गुरुयणस्स संपत्ता रायंगणं । ताव य सजिओ जय-कुंजरो । केरिसो । भवि य । 33 धवल धवल-विसाणो सिव-कुसुमाभरण-भूसिलो लुंगो। जस-कुंजर-जो इव पुरनो जय-कुंजरो दिट्टो ॥ 3 8 9 12 18 21 24 पसरणं, भरणिणोमालए. 6) पुणमणे, ब्याई 7) P छिदसु for छिवसुP adds भो भो कथं फरुसमाणो before भो भो, P पाडलं. 1) चंपयडोल, सहसा for बहुसो, दोसो for दोसं, परिहवं. 2) माणो. 3) 4) परिणामिणा 5 ) मे दूहिया, कुना नं. Pता for तं. 8 ) P लिहियं for णिहुयं, P फरुसमाणो 9 ) 11 ) देहे for हेहे, P व for वि, P माइमयं ।, P पेमेण ण हीरति 12 ) जाभि for जेण, P सुद्धशीलेण ॥. 13 > खमावेंति, P रोत्तं. 14 ) P समाए गया, J om. णिय, P दट्ठाई, P घरसवणसावश्य. 16 ) P बुद्धे for मुद्धे, J om. चिय, चियर, हिताय, मइए, P adds मए before तुमं, उता परसु. 17 J पदइणु for ते दइओ, P दोन्नि, विवश्चसु. 18 ) P तुह पुत्ति मोरि धरिद्दामो 1, P मुद्धो ॥. 19 ) P सर सिसिणेहे, P सुह for सम. 20 ) P चक्काय, विओअम्मि. 21 ) P मा होओ विमेण विते चउरिणयाणाई, विसणवरे चउरिणयसाई विअयम, गुंजाहल, मुंचसि तइयं for वच्चसु समयं 22 ) Printer. किंचि & कीरि P दय for दइय, 1 पथाण, मणुद्दव J for अणुव. 23) P for वि, P पिसुणि, Padds वि before अहयं, P अहियं. 24 ) J सारआ, P चक्कसारसचउरी, J om. सा, रसिर for स. 26) सायं कुरुरोवणा, P नयनतु दासादिया सदन for दिव्य 28 for घालियं. 31 ) बहु for बाहिं, विसालो for विसाणो, जय for जस. J P पमप्पंहाणं, Jom. चंदण, P चक्कियं. P-मुयंग, P गयणं आसी । सा समुहस्स, 25) P अनुसभामि धणे. 27 जायंकुर for जबंकुर, परमावी, 29 ) मंगलाई, P संपतं. 30 ) P चालिओ सुमुहस्स गुरुअस्स. 33) P धववलविसण्णो सिय, Jain Education International * For Private & Personal Use Only 3 6 12 15 18 21 24 33 www.jainelibrary.org

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