Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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-२८४] कुवलयमाला
१७९ 1 जह गरुलो सप्पाणं मजारो मूसयाण जह वेरी । वग्घो इव वसहाणं तह ओ पावाण जिणधम्मो ॥
सूर-तमाण विरोहो छाया-धम्माण जह य लोगम्मि । एसो वि तह विरुद्धो कम्माण होइ जिणधम्मो ॥ तावेण पारय-रसो ण वि णजइ के दिसं समल्लीणो। जिण-वयण-ताव-तत्तं पावं पिपणस्सए तह य ॥ जह णिद्दय-वज-पहार-पडण-दलिओ गिरी वि भिज्जेज । तह जिणवरोवएसा पावं पि पणस्सए वस्सं ॥ जलण-पहओ वि रक्खो पुणो वि सो होज किसलय-सणाहो । जिण-वयण-जलण-दस्स कम्मुणो णस्थि संताणं ॥ मुक्को वि पुणो बज्झह णरवइ-वयणेहिँ कोइ णियलेहिं । जिण-वयणेण विमुक्को बंधाओं ण बज्झए जीवो ॥ पजलइ पुणो जलणो धूलि-कलिंबेहि पूरिओ संतो। जिण-वयण-जलण-सित्तो मोहग्गी सव्वहा णस्थि ॥ अण्णं च पिए, एरिसं हम मण्णसु जिण-धम्म । अवि य। 9 जह करि-सिरम्मि मुत्ताहलाई फणिणो य मत्थए रयणं । तह एयम्मि असारे संसारे जाण जिणवयणं ।
जह पत्थराओं कणयं घेप्पइ सारो दहीओं णवणीयं । संसारम्मि असारे गेण्हसु तह चेय जिणधम्मं ॥
पंकाउ जहा पउर्म,पउमाउ महू महूउ रस-भेउ । णिउणं गेण्हइ भमरो गेण्हसु लोयाओं सम्मत्तं ॥ 12 गजंकुराओ कणयं खार-समुदाओ रयण-संघाओ। जह होइ असाराउ वि सारो लोयाओ जिणधम्मो ॥
६२८४) अण्णं च पिए,
भवणम्मि जह पईवो सूरो भुवणे पयासओ भणिओ। मोहंधयार-तिमिरे जिणधम्म तह वियाणासु ॥ एरिसोय 15 अत्थाण होइ अस्थो कामो एयाण सव्व-कामाण । धम्माण होइ धम्मो मंगलाणं च मंगलं ॥
पुण्णाण होइ पुण्णं जाण पवित्ताण तं पवितं ति । होइ सुहाण सुहं तं सुंदरयाणं पि सुंदरयं ॥
अशब्भुयाण अञ्चब्भुयं ति अच्छेरयाण अच्छेरं । सेयाण परं सेयं फलं फलाणं च जागेज्जा ॥ 18 तओ पिए, धम्मं तित्थयराणं,
जह आउराण वेजो दुक्ख-विमोक्खं करेइ किरियाए । तह जाण जियाय जिणो दुक्खं अवणेइ किरियाए॥ जह चोराइ-भयाणं रक्खइ राया इमं जणं भीयं । तह जिणराया रक्खइ सम्व-जणं कम्म-चोराण ॥ जह रुंभइ वञ्चतो जणओ अयडेसु तरलयं बालं । जिण-जणओ वि तह चिय भव्वं रंभे अकजेसु ॥ जह बंधुयणो पुरिसं रक्खइ सत्तूहि परिहविजतं । तह रक्खइ भगवं पि हु कम्म-महासत्तु-सेण्णस्स ॥
जह जणणी किर बालं थणयच्छीरेण णेइ परियटुिं। तह भगवं वयण-रसायगेण सव्वं पि पोसेइ ॥ 24 बालस्स जहा धाई णिउणं अंजेइ अच्छिवत्ताई। इय णाण-सलागाए भगवं भब्वाण अंजेइ ॥ दइए, तेण तं भगवंतं धम्म-देसयं कहं मण्णह । अवि य ।
मण्णसु पियं व भायं व मायरं सामियं गुरुयणं वा । णिय-जीवियं व मण्णह अहवा जीवाओ अहिययरं ॥ अवि य । हिययस्स मजा दइओ जारिसओ जिणवरो तिहुवणम्मि । को अण्णो तारिसओ हूँ णायं जिणवरो चेय ॥ सव्वहा। जइ म मण्णसि मुद्धे, कजाकजाण जाणसि विसेसं । जइ इच्छसि अप्प-हियं सुंदरि पडिवज जिण-वयणं ॥ जइ जाणसि संसारे दुक्खाइँ अणोर-पार-भीमाइं । जइ णिव्वेओ तुम्हं सुंदरि ता गेण्ह सम्मत्तं ॥ जइ सुमरसि दुक्खाई मायाइयत्तणम्मि पत्ताई। जइ सुमरसि णिब्वेओ सुंदर ता गेण्ह सम्मत्तं ॥ जइ सुमरसि कोसंबिं जइ जाणसि धम्मणंदणो भगवं । जइ सुमरसि पव्वजं सुंदरि पडिवज जिणधम्मं ॥
जइ सुमरसि संकेओ अवरोप्पर-विरइओ तहिं तइया । सम्मत दायव्वं ता सुंदरि गेण्ह तं एयं ॥ 33 जइ सुमरसि अप्पाणं पउम-विमाणम्मि देवि परिवारं । ता सव्व-सोक्ख-मूलं दइए पडिवज जिणधम्म ।
27
म
2 कयोप्पम्माण for छायाधम्माण, लोअम्मि, P जहा for वि तह. 3) Pतोवेण परियः, P पावं मि विणासए. 4) दलिरो, " वि भज्जेज्ज, J जिणबरोबएस पहवं पावं, J वस्स ।।.5) P जलणेण कट्ठरुक्खो, P किलयसणाहो, न किं पुणो for कम्मुणो. 6) P inter. पुणो & वि, Pणरवय-, Pमुको for विमुक्को, P बंधए for बज्झए. 7) P जणवयणजलयसित्तो. 8) PR for नं. 9) P-सिरिमि, P repeats संसारे, P om. जिण, J धम्मो for वयणं. 10) तं for तह. 11) Pमहूअ, J रसहेऊ । रसमेओ. 12) Pअसारो तो वि. 14) P तह वियाणा ॥. 15) P अत्थीण, P धम्मा for धम्माण. 16)P सुहयं for सुहं तं. 19) P आउरा वेज्जो दुक्खं करेइ. 20) J चोराति- P चोराउभयं, P भव्वजणकंम- 21) Pजह ई रुभइ,
चिय भय रुम्हे अयज्जेसु. 22) P पुरिसो, P सत्तूण. 23) Pणेय परियटिं ।, P रसायणेण भब्ब पि पासेइ. 24) Pधाई, P-सिलागाए भगव. 25) r om. धम्म, P om. कहं, P वण्णह for मण्णह. 27) P हिअस्स, P जारिसो, Pत्तिभुवणंमि, P हूं, चेव. ' 28 जइ इमं, P om. one कज्जा, P विसिस, P धम्म for वयणं. 29 -भीआई। 30) समरं सि तं दुक्खं मायाइच्चवणं पिजं पत्तं ।, Pom. second line जइ सुमरसि etc. 31) J धम्मनिंदणो भयवं. 32) सुंदर गण्ह तं.
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