Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 240
________________ 5 -२३२८ ] कुवलयमाला वह सुद्धो कोई जिलो कुसमय वग्पीस कर सुहत्थी परिहरइ जिणागत्तिं जणणि पिव मोक्ख-मग्गस्स ॥ इस पारवर केंद्र जिया सोऊण वि जिणवरिंद्र-वयणाई ण य सदहंति सूडा कुणंति बुद्धिं कुतिरपे ॥ अह कह विकम्म विवरेण सद्दहाणं करेज एस जिओ । अच्छइ सदहमाणो ण य लग्गइ णाण - किरियासु ॥ अभयट-तटे पुरिसो पयलाय गुणइ जद पटीदामि ण य वच सम-भूमिं नमो जाणिवटिलो तत्थ || तह गरय-त्र-तड-पडण-संडिनो कुणइ पाव-पलाओ। तब नियम- समं भूमिं ण व वचद विडियो जाय ॥ जद सयल-जणिय काणण-वण-देव-दत-भीसणं जलणं दद्रूण जाणइ णरो झिज सो ण व पलाइ ॥ तह सत्तु-मित्त घर-वास-जलन- जालावली- विलुट्ठो वि । जाणइ उज्झामि अहं ण य णासइ संजमं तेण ॥ जह गिरि-इ-वेय-वियाणुओ वि मज्जेज गिरि-इ-जलम्मि । हरिऊण जाणमागो णिजइ दूरं समुदम्मि || तह पाव-पसर-गिरि-इ-जल-रथ-हीरंतयं मुणइ जीवं ण य लग्गह संजम-तस्वरम्मि जा विडिओ गरए जह कोइ परो जाणइ एसो चोरेहिं सूसए साधो ण व धावद गामंतो जा मुलिओ दुटु चोरेहिं ॥ तह इंदिय-चोरेहिं पेच्छइ पुरओ मुसिजए लोए । जाणइ अहं पि मुसिओ संजम-गामं अलियइ ॥ जह कोइ चोर-पुरिसो जाणइ कइया वि होइ मह मरणं । ण य खो परिहरइ वयं जाणतो पाव-दोसेण ॥ वह पात्र चोरियाए गिलो जीवो निषाण दुक्खं जाणतो वि ण चिरमइ जा पाच णरय-निगाह ॥ इस णरवर को पावर मणुबत्ते पालिए वि जिण वयणं । शिसुए चि कस्स सदा कत्तो वा संजमं लहइ ॥ तेण णरणाह एवं दुलहं भव- सायरे भमंतस्स । जीवस्थ संजमं संजमम्मि अह वीरियं दुलहं ॥ तुम पुण संपत्तं सम्मत्तं संजमं च विरियं च । पालेसु इमं णरवर आगम-सारेण गुरु-वयणं ॥ धम्मम्मि होसुरतो किरियाए तग्गओ रम्रो झाणे। जिन वयण-रलो णश्वर विरओ पावेसु सय्येसु ॥ होसु दढव्य-चित्तो णित्थारग - पारगो तुम होसु । वढ्ढसु गुणेहिँ मुणिवर तवम्मि अच्चुजओ होसु ॥ भावे भावणाओ पालेसु वयाइँ रयण-सरिसाईं । कुण पावकम्म खवणं पच्छा सिद्धिं पि पावेसु ॥ ति । ९ ३२८ ) एवं च णिसामिकणं भगवं दढवम्म-राय-रिसी हरिस-वसुल्लसंत-रोमंचो पणमिश्र चलणेसु गुरुणो, भणियं च 'भगवं अवि य TANTRIES २११ Jain Education International For Private & Personal Use Only 3 6 12 15 अजेय अहं जाओ अजय संवडिओ टिनो र मण्णामि कथं अप्पयं पजा एस पवइओ ॥ जं जं मह करणिजं तं तं तुम्हेहिँ आइसेयच्वं । जं जं चाकरणिज्जं तं तं पडिसिज्झह मुणिंद ॥ ' त्ति । 24 | | गुरुणा भणियं । ' एवं हवउ' त्ति भणिए चलण-पणामे अब्भुट्टिको बंदिओ सयल-सामंत-चक्केण कुमारेण य । णायर-जणो वि कय-जय-जय-सदो अभितो आगओ णयरिं गरिंद-लोमो वि 'अहो महासतो महाराया ददवम्मो' चि भणतो नागंतु पयतो तभो गुरुणा वि महाराया काशविओ तकालियं करियध्वं ति एवं च करेंतो कायम्वाई परिहरंतो अकाबाई, 7 भतो भणियव्वाणि, अभणतो अभणियव्वाई, जंतो गम्माणि, वजेंतो अगम्माणि, भुंजतो भक्खाणि, अभुंजतो अभक्खाणि - 27 पियंतो पेयाणि, परिहरंतो अपेयाणि, इच्छंतो इट्ठाणि, वज्जेंतो अणिट्ठाणि, सुर्णेतो सोयव्वाणि, अवमण्णंतो असोयव्वाणि, पसंत पसंसािणि, उयेक्लंतो अपसंसािणि पंतो वंदनिखाणि वर्जितो भवेदणिजाणि, जिंतो संसार वासं, पलं, 10] संतो जिनिंद-पर-मति अयि । 1 कजाकज्ज-हियाहिय- गम्मागम्माइँ सव्व कज्जाई । जाणतो च्चिय विहरइ किंचिम्मेत्त-परिसेस-कम्मंसो ॥ त्ति । 3 ) J Pom. 2 ) P इय नर को वि, बुद्धी 5 ) Pनयर for णरय. 6 ) P तण for दव, P वियाणओ. 9 ) P सुइ for मुण, P -तरुयरंभि. 13 ) J जीओ, व विरइ for विरम, P -निगमणं. 11) P 14) J 1 ) J को वि, P कुसुमय, वग्घीय, P जिणाणत्ती जगणि, P मोक्खसारस्स. રાવળાં ગદ કર્યું . 4 ) J सुपर for मुणइ, एत्थ for तत्थ. three lines दट्ठण जागर णरो etc. to संजमं तेण ॥. 8 ) adds y before पुरो, P - गाम. 12) P पावदोसेहिं. पावि for पाविए, सिद्धा कत्ता. 15) P दुलहं भवसागरे, P वीरियदुलई. 16 ) P च विरईयं ।. 17 ) Pom. रजो, P ज्झाणे, inter. णरवर & विरो, P पावसु. 18 ) र गित्थरया, P अब्भुज्जओ 20 ) P भयवं, P - वसुच्छलंतरोमिंचो पणाभिओ, ए गुरुणा, Pom. भणियं च- 22 ) आउ for जाओ, P ट्ठिओ, P अप्पियं च जाए पाइओ. 23 ) तुभेहिं for तुम्हेहिं, " आयसेयव्वं, जे च न करणिज्जं, उ परिसिज्झह P पडिसिद्ध. 24 ) हवतु, हणिए for भणिए, पामभुडिओ, P पणाने पभुट्टिओ य बंदिओ य सयल, गायरजणेहि कय 25 ) P अभिनंदिऊग, P नरिंदलोर, J om. वि, P आहो for अहो, J दढवम्भदेवो, P दढधग्मो. 26 ) J पत्ता, adds तं before तओ, P कारिओ तकालिय किरियब्वं, P करंण्णो for करेंतो27 ) Pom. गर्गत भणियव्वाणि, J om भणियब्वाणि अभगतो, P वज्र्ज्जती, om. भुंजतो भाखाणि, P भुज्जंतो for भुजंतो (emended). 28 ) P पेयाणि for अपेयाणि, P असुर्णेतो for अवतो. P reports अतो for वर्जितो. 31) जागतो विहर के किंचिमेत्तपरिसेय- 29) for वंदतो, P वंदनियाणि, 18 21 30 www.jainelibrary.org

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