Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 211
________________ ३ 12 १८२ उज्जोयणसूरिविरइया [२८६1 आरूढा य जय-कुंजरं दुवे वि जुवाणया। केरिसा य दीसि पयत्ता जगणं । अवि य। कुवलयचंदो रेहइ कुवलयमालाय कुंजरारूढो । इंदो इंदाणीय व समयं एरावणारूढो । २ ८७) एवं च णीहरिडं पयत्ता अहिणंदिजमाणा य जण-समूहेण, वियप्पिजता णायरिया-लोएण । अवि य । अइ, : कोउय-रहस-भरिजंत-हियय-पूरंत-गेह-बहुमाणो । अह जंपइ धीसत्थं जायर-कुलबालिया-सत्थो॥ एक्का जंपइ महिला भणह हला को व्व एत्थ अभिरूवो। किं कुवलयमाल चिय अहवा एसो सहि कुमारो॥ 6 तओ अपणाए भणियं । एयस्स सहइ सीसे कसणो अह कांतलाण पब्भारो । कजल-तमाल-णीलो इमाएँ अह सहइ धम्मेलो ॥ एयरस सहइ वयणं सरए अह वियसियं व सयवत्तं । संपुष्ण-चंद-मंडल-लायण्णं सोहद इमीए॥ एयस्स जयण-जुयलं कुवलयदल-सरिसयं सहइ मुद्धे । तक्खण-वियसिय-सिय-कमल-कंति-सरिसं इमीऍ पुणो ॥ रेहइ इमस्स पियसहि बच्छयलं धवल-पीवर पिहुलं । उभिजमाण-थणहर-विरावियं रेहइ इमीए ॥ सोहइ मइंद-रुंदं णियंब-बिंब इमस्स पेज्जालं । रइ-रहसामय-भरियं इमीए अहियं विराएजा ॥ .. 12 ऊरु-जुयलं पि सुंदरि इमस्स सरिसं करेण गयवइणो । रंभा-थंभेण सम इमाएँ अहियं विराएज ॥ ति। अण्णाए भणियं । 'हला हला, एत्थ दुवे वि तए अण्णोण्ण-रूवा साहिया, ण एत्थ एक्कस्स वि विसेसो साहिओ'। तीए भणियं 'हला, जइ एत्थ विसेसो अत्थि तो णाम दंसीयइ, जो उण णस्थि सो कत्तो दंसीयइ' ति । अण्णाए भणियं 15 'किं विसेसो णस्थि, अत्थि से बिसेसो । अवि य । 15 वच्छत्थलं विरायइ इमस्स असमं जयम्मि पुरिसेहि । एयाएँ णियंबयडं रेहइ महिलाण असमाण ॥ अण्णाए भणियं 'अलं किमण्णेण एत्थ पुरिसंतरेण महिलंतरेण वा । इमाणं चेय अवरोप्परं किं सुंदरयरं' ति । तीए भणियं 18 'अस्थि इमाणं पि अंतरं' । ताहिं भणियं किं अंतरं' । अवि य। ___'पुरिमाण एस सारो एसा उण होइ इत्थि-रयणाणं । एसो चेय विसेसो एसा महिला इमो पुरिसो ॥' ताहिं भणियं 'किं इमिणा इत्थि-पुरिसंतरेणं, अण्णं भण' । अण्णाए भणियं 'जइ परं फुडं साहेमो । अवि य। 1 एस कुमारो रेहइ एसा उण सहइ रेहइ कुमारी । छजइ सहइ य रेहइ दोण्ह वि सद्दा पयदृति ॥' तओ ताहिं भणियं 'अहो एक्काए विणायरियाए ण लक्खिओ विसेसो'। ताहिं भणियं 'पियसहि, साह को विसेसो तए लक्खिओ'। तीय भणियं णिसुणेसु, अवि य । 24 'मरगय-मणि-णिम्मविया इमस्स अह सहइ कंठिया कंठे । एयाए उण सोहइ एसा मुत्तावली कंठे ॥' तओ ताहिं हसमाणीहिं भगियं 'अहो, महंतो विसेसो उबलक्खिओ, जे रायउत्तस्स अवदाय-वण्णस्स मरगय-रयणावली सोहइ, एमाए पुण सामाए मुत्तावलि त्ति । अण्णं पुच्छियाए अण्णं साहियं' ति । अण्णाए भणियं । श धगयाण दोण्ह को वा रेहइ अच्छीण भणसु को कइया । इय एयाण वि अइसंगयाण को वा ण सोहेजा ॥ ताहिं भणियं 'ण एत्थ कोइ विसेसो उवलब्भइ, ता भणह को एत्थ धण्णाणं धण्णयरो' । तओ एक्काए भणियं । 'धण्णो एत्थ कुमारो जस्स इमा हियय-वल्लभा जाया। धण-परियण-संपण्णो विजओ राया गुरुयणं च ॥ 30 अण्णाए भणियं ‘णहि णहि, कुवलयमाला धण्णयरा। धण्णा कुवलयमाला जीए तेलोक-सुंदरो एसो। पुण्णापुण्ण-विसेसो णजइ महिलाण दइएहिं ।' अण्णाए भणियं 'सब्बहा कुमारो धण्णो कुवलयमाला वि पुण्णवइ त्ति को इमाणं विसेसं करेउं तरह'त्ति । अवराहिं भणियं । 33 'धण्णो जयम्मि पुरिसो जस्सेसो पुत्तओ जए जाओ । महिला वि सा कयत्था जीय इमो धारिओ गब्भे ॥' 18 श 1) Pom. य after आरूढा, Pय दंसिउं. 2) Pकुवलयमाला कुं, JP कुंजरारूढा, J इंदाणीअ Pइंदाणीइ. 3) P पयत्तो आणदिजमागा, P वियप्पियंता णायरलोएण. 4) Padds the verse कोउयरहस etc. to सत्थो and further adds एका जंता गायरलोएण अविय अइ before the verse कोउय etc., परत for पूरंत. 5) अभिरुइओ।, P कुवलयमाला चिय. 7) Pएतरस, कसिणो, P अहरेइ धम्मेलो, 8) Pएतरस, P सरिसं for णरए. 9) कुवलयदय10) P बच्छलयं for वच्छयलं. 11) Pजहंण for अहियं. 12) Pऊरुजुवलं पि सुरिसरिसं, रंधा for रंभा, विराएजंति. 13) P साहियं for साहिओ. 14) Jतीय, P अओ for हला, ' णो for तो, देसीयति P दंसियइ, J जो पुण, दंसीयति, Pom. अण्णाए भणियं किं etc. to असमाणं.. 17) P adds वा after पुरिसंतरेण, P सुंदररयरं, J तीय. 18) Pom. अंतरं, P ताहे for ताहिं. 19) Pएसो उण होइ इत्थियणाणं. 20) अह for ताहिं. 21) P सहइ रेह कुमारो । छजिद सहिइ, P दोन्नि सद्दा पयति, सद्दो पयत्तंति. 22) एक्काय. 24) P-णिम्मरया, P अहर कंठिया, P एताप, पुण, P adds gafter ए.सा. 25)P हसमागीए, J अवदात-. 27) P को वा वा ण सोहेज्जा. 28Pको विसेसो उवल द्धद. 29) धम्मो for धष्णो, P वलहा, Pसंपुन्नो. 30) F कुवलयमाली. 31) Pएसु ।.32) P विसेसो.33) Pजाय इमो जारिओ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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