Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 182
________________ -६२४८ । कुवलयमाला दक्खिण दाण-पोरस विणण-दया विवचिय-सरीरे 'युद्धं तेर्दै' पर्वते दके उपेच्छ कुमरो ॥ सल लिय- मिउ-मद्दवए गंधव्व-पिए सदेस-गय-चित्ते । 'चउडय में' भणिरे सुहए अह सेंधवे दिट्टे ॥ बँके जडे य जड्डे बहु-भोई कठिण पीण-सूणंगे । 'अप्पाँ तुप्पाँ' भणिरे अह पेच्छह मारुए तत्तो ॥ घय- लोगिय-गे धम्म-परे संधि-विमा-डिगे। 'गड रे भल' भणिरे अह पेच्छ गुज्जरे अवरे ॥ ओसिविल कय-सीमंते सुखोहि सुगते 'अहंकार्ड तुम्हें' भणिरे अच्छा ॥ तणु-साम-मड- देहे कोवणए माण- जीविष्णो रोदे । 'भाउथ भरणी तुम्हे' भगिरे अह मालवे दिडे || उक्कड - दप्पे पिय-मोहणे य रोद्दे पयंग-वित्ती य । 'अडि पौंडि मरे' भणिरे पेच्छइ कण्णाडए अण्जे ॥ कुप्पास पाउगे मास रुई पाण-मयण तलिन्छे । 'इसि किस मिसि' भणमागे अद पेच्छ साइ अवरे ॥ सम्य-कलाप माणी पियकोवणे कठिण देदे 'जल तल ले' भणमा कोसलए पुलइए अपरे ॥ दद-मह-सामलंगे सहिरे अहम सीखे य 'दिष्णले गद्दियले उहावरे तत्थ मरहठ्ठे ॥ पिय- महिला - संगामे सुंदर गत्ते य भोयणे रोहे । 'अटि पुटि रटिं' भणते अंधे कुमरो पलोएइ ॥ इ अट्ठारस देसी भासाउ पुलइऊण सिरिदत्तो । अण्णाइय पुलाई खस-पारस-बब्बरादीए ॥ २४७ ) तस्य तारिसस्स जण समृदस्य माझे के उण आलाया सुचि पबन्ता अधि य । दे देहि देहि रोषद सुंदरमिणो ण सुंदरं वच ए-एहि भगसुतं चिय अहव तुहं देमि जह की ॥ सन्त गया तिष्णि घिया सेसं अ पण पायेण वीसो व यवीसो वयं च गणिका कणिसवाया ॥ भार-सय अद कोटीच दो कोडियमेगं प-सय-पल पर्छ करिखं माझं च रती य ॥ होइ पुरं च पडो गोगच सुती य एयाण उपरि मासा एए भह देमि एएहिं ॥ S कह भेंट संवरियं गेण्ड्सु सुपरिक्खिऊण वच्च तुमं । जइ खज्जइ कह वि कचड्डिया वि एगारसं देमि ॥ एवं च कुमार कुवलयचंदो विवणि मग्गेणं वच्चमाणो अगेए वणियाणं उल्लावे णिसुतो गंतुं पयत्तो । कमेण संपत्तो क्षणेयणायर-विलाल विलोल को यण- मालाहि पलोजतो रागणे, जे च भगेय-धारणा-सह-उडतंय-सिनि-कहाविणिम्मचिय-छत्त-संकुल तत्व सन्चो चेत्र णरवइ-जयो करवल-निमिष मुह-कमलो किंपि किंपि चिंतंत कवियो विव दीसह । तं च दण पुच्छिओ णरणाह-पुत्तो कुमारेण 'भो भो रायउत्त, कीस णरवइ-लोओ एवं दीण-चिमणो दीसइ' ति । तेण भणियं 'भो भो महापुरिस, ण एस दीणो, किंतु एत्थ राइणो धूया कुवलयमाला णाम पुरिसदेसिणी, तीय किर 4 पायओ लंबिओ जहा 'जो एवं पायें पूरे हिइ सो मं परिगेहि' ति । ता तं पादयं एस सच्चो चेव णरवइ-लोओ चिंतेइ य' 24 त्ति । कुमारेण भणियं 'केरिसो सो पाओ' । तेण भणियं 'एरिसो सो' । अवि य । 'पंच वि परमे चिमाणम्मि ।' 1 २४८ ) कुमारेण भणियं 'ता एस पावओो केइ कम्मि भणिए पूरिओ ण पूरिओ या कहं जाणियम्पो' । तेष 7 भणियं 'सा चेत्र जाणइ कुवलयमाला, ण य अण्गो' । कुमारेण भणियं 'कहं पुण पञ्चओ होइ जहा सो चेय 27 इमो पायओ जो कुवलयमाला अभिमजो' । तेण भणियं । अपिचओ कहं । इमस्स पायस्स पुष्यमेव L 3 } 5 कुमारो 2 सरल मिदुदव, Pसयस, 1) ते ते, टके, of, g, fat. 3 > कि विग्गहे. 5 ) । सीते सोहिते, 6 ) P -जीवणे, " मारय, " तुम्भे for तुम्हे, 8 ) P से दो for च (व) उदय मे रूपा तुप्पा P अप्पां तुवां गारु कारुण 4 ) J लोटिय. आदम्ह काई तुम्हे मित्तु भगिरे for अं etc., J om. अ, P अच्छह् for अह दिट्टो 7 ) J एय for य ( before रोदे ), अद्रि पोण्डिमरे । अडिपांडिरमरे. for रुई, P असि for इसि, P मणि for मिसि, P भगमाणो. 9 ) सत्य for सव्व, पत्तट्ठो भट्ठे J देहो. 10 ) P सदिए अमाण, P दिनले रा ( ठा? ) हिल for गहियले ( written twice in P ). 11 ) P गोते for गत्ते, J भो, " भाषणे रोमित कुमारं कुमारो 12) सिरिअसो, सिरि अग्नेय पुलपती जवसपारस, अण्णाईय पुलपई, पञ्चरादीए P बब्बराती ए. 13 ) J जगस्समुहस्स सज्झे काऊण अलावा, P केण उण. 14 ) देहेहि स for r, P एएहिं कीतं. 15) तस्स गया for सत्त गया, थिरा सेसं, P पऊण पाएण श्रीसो अद्धववीसो कमिस्वाता मणिसवाया. 16) 1 सतं, Padds होइ after अह, Pच for चिय होइ, कोडिसतमेकं । पळसतपरीया से रक्तीसं. 17 ) on the verse होइ etc. we have a marginal note (in 3 ) like this (with nunerals below the words ): कणियउ / १ महेसरु / ३ तलु / ५ पविती / / उवणु९ | आंगुलु / १० | पूंखाल / २००१८ उ. text of J numbers धुरं as 2, बहेडो as 6, गोत्थण as 4 and सुन्तीय as 20. उवदिसंसा एते, एतेहिं. 18) भां संवरितं, एआरसं. 19 ) Pom. च, P उलावें. 20 ) P नाय for नायर, Pom. जं, Padds केरिसं before अणेय, P उद्दंड, Jaण्डवि तद्भुविय 21) निम्मिय, J om. one किंपि, P व for विव. 22 ) P नरनाहउत्तो, रायउत्ता, adds एस after कीस, P om. एवं 23 ) P inter. ण (न) & एस, P रायणो, ४ पुरिसवेसिणी, P यय for तीय. 24 ) पातओ, पातयं पूरेहिति, ति for त्ति, पाय, अविक्षि. 25 ) Pom. सो, पातओ for पाओ, 3 writes twice पंचवि उमे विमाणम्मि. 26 ) पात, भणिते भगिअर, पूरितो ण पूरितो. 27 ) Pom. य. 28 Jपाओ, पातयस्स for The पायरस. 20 Jain Education International १५३ For Private & Personal Use Only 1 6 9 12 15 18 www.jainelibrary.org

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