Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 123
________________ -११७३] . कुवलयमाला अह खणोत्तेणं चिय आहारण-करण कुणइ पजत्तिं । अणुमग चिय तस्स य गेहद स सरीर-पजातं । ठावेइ इंदियाई फरिस-प्पमुहाई कम्म-सत्तीए । ता अणुपाणं वाउं मणं च सो कुणइ कम्मेणं ।।। भासा-भासण-जोग्गे गेण्हइ सो पोग्गले ससत्तीए । इय सो सव्वाहिं चिय पजत्तीहिं हवइ पुण्णो ॥ एत्थंतरम्मि सम्वं मुहत्त मेत्तेण अत्तणो रूवं । अंगोवंग-सउण्ण गेण्हइ कम्माणुभाघेणं ॥ अह तं उवरिम-वत्थं उत्थलेऊण तत्थ सयणयले । जंभा-बस-बलिउध्येलमाण-बाहाण उक्खेवो ॥ आयंब-दीहरच्छो वच्छत्थल-पिहुल-पीण-भुग-सिहरो। तणु-मज्झ-रहिरंगो विम-सम-रहर-ओ-गुभो ॥ उपणय-जासा-वंसो ससि किंवायार-रुइर-मुह-कमलो । वर-कप्परक्ख किसलय सुटुब्वेदत-पाणियलो ॥ कोमल-मुणाल-बाहू चामीयर-घडिय-सरिस-वर-जंघो । ईसि-समुण्णय-कोमल-चलणग्ग-फुरंत-क्रांतल्लो॥ पिदु-वच्छत्थल-लंबिर-हार-लया-रयण-राय-चइओ। गंडस्थल-तड-ललमाण-कुंडलो कडय-सोहिहो । कप्पतरु-कुसुम-मंजरि-संताण-पारियाय-मीसाए । आजाणु-लंबिराए वणमालाए विरायंतो ॥ गिद्दा-खए विबुद्धो जह किर राई कुगारओ को वि । तह सयणाओ उट्ठा देवो संपुण्ण-सयलंगो॥ 12 इय जाव सो विबुद्धो ईसिं पुलएइ लोयण-जुएण । ता पेच्छइ सयलं चिय भत्ति-णयं परियणं पासे ॥ अवि य । करिसं च तं परियणं दिटुं लोहदेवेण । गायति के वि महुरं अण्णे वाएंति तंति-वजाइं। णचंति के वि मुइया अण्णे वि पढंति देव-गणा ॥ 15 पालेसु जियं जं ते अजियं अजिणसु परम-सत्तीए । विरइय-सिरंजलिउडा थुणन्ति एएहिँ वयहिं ।। जय जय गंदा जय जय भद्दा अम्हाण सामिया जयहि । अण्जे किंकर-देवा एवं जंपति तुट्ठ-मणा ॥ भिंगार-तालियंटे अण्णे गेण्हति चामरे विमले। धवलं च आयवत्तं अवरे वर-दप्पण-विहत्था ॥ वीणा-मुइंग-हत्था वत्थालंकार-रेहिर-करा य । अच्छंति अच्छर-गणा तस्साएसं पडिच्छंता ॥ सव्वहा, अह पेच्छइ तं सवं अदिउध्वं अउध्व-रमियं च । उव्वेल्ल-वेल्ल-मय-वल-विलारिणी-रेहिर-पयारं ॥ ६१७३) तं च तारिसं अदिउच्च पेच्छिऊण चिंतियं लोहदेवेणं । 'अहो, महला रिही, ता किं पुण मह इमा किं !! वा अण्णस्स कस्सइ' त्ति चिंतयंतस्स भणिय देव-पडिहारेण । अवि य। जोयण-सहस्स-तुंग रयण-महा-पोमराय-णिम्भवियं । पडिय-तिमिर-प्पसरं देवस्स इमं वर-विमाणं॥ वर-इंदणील-मरगय-कफेयण-पोमराय-वजेहिं । अण्णोपण-वण्ण-भिण्गो रयणुकेरो तुहं चेय॥ पीणुत्तुंग-पोहर-णियब-गरुओ रणत-रसणिल्लो । मयण-मय-वुम्मिरच्छो इमो वि देवस्स देवियणो ॥ लय-ताल-सुद्ध-गेयं सललिय-करणंगहार-णिम्माय । वर-मुरय-गहिर-सई देवस्स इमं पि पेक्खणयं ॥ असि-चक्क कोंत-पहरण-वर-तोमर-वावडा-हत्थेहिं । देवेहि तुज्झ सेणा अच्छइ बाहिं असंखेजा ॥ पल्हत्थेइ य पुहई मुट्ठि-पहारेण चुण्णए मेरुं । आणं सिरेण गेण्हइ इमो वि सेणावई तुज्झ ॥ सुर-सेल-तुंग-देहो गंडत्थल-पज्झरंत-मय-सलिलो । दसण-पलाण-दणुओ इमो वि सुर-कुंजरो तुज्झ ।। मंदार-सुरहि-केसर-कप्पतरूपादियाय-सय-कलियं । फल-कुसुम-पल्लविलं उजाणमिम पि देवस्स ॥ हियइच्छिय-कज्ज-पसाहयाई णिञ्च अमुक-ठाणाई । तुज्झं चिय वयण-पडिच्छिराई इय किंकर-सयाई ॥ देव तुमं इंद-समो बल-वीरिय-रूव-आउय-गुमेहिं । पउम-विमाणुप्पग्णो तुझं पउमप्पहो णाम ॥ इय रिद्वि-परियण-बले पडिहारेणं णिवेइए णाउं । अह चिंतिउं पयत्तो हियए पउमप्पहो देवो ॥ किं होज मए दिण्णं कम्मि सुपत्तम्मि केत्तियं विभवे । किं वा सील धरियं को व तवो मे अणुच्चियो । इय चिंतेंतस्स य से चित्थरियं झत्ति ओहि-वर-णाणं । पेच्छइ जंबुद्दीवे भरहे मज्झिल्ल-खंडम्नि ॥ पेच्छइ जत्थुप्पण्णो तुरए घेत्तण जत्थ सो पत्तो। चलिओ रयणदीवं जह पत्तो जाणवतेण ॥ 6 जह भरियं रयणाणं जह य णियत्तो समुद-मज्झम्मि । जह भदो पक्खित्तो लोह-विमूढप्पणा तेण ॥ ___ 1) Padds, after कुगर, f भासभासगजोलो गेहर तह पोग्गले ससत्तीए ॥ P शिय, P पज्जतं ।। णावेड. 2)। फारिसयपमुहाई तरस भत्तीप, 'om. ता, आणुपागुं, J वायु, P मगुं, P कुगइ इकंमेगं. 3) P जोग्गो गेन्हह तह पोग्गले, P पज्जतीहि. 4) 1 रूयं, P सउ. 5) P वच्छलेऊग, P चलिपुवेल्लमाणवाहालिपुक्खेवो. 6) पीवग, P -जुओ. 7) J बिबोगयणरु, वेलंतपाणितलो. 8) P समुलपकोमलणगग- 9) लयालन्तराय, J वर for तद. 10) J संताणय-. 11) विनद्धो, सगी . 12)। ईखि for ईसिं, P भत्तियणं. 14) वायंति. 16) Poin. one जय, सानिय जयाहि. 17) तालियंटो, न त for च. 18) P मुबंग, तर उवएसं, P om. सम्बदा. 19) P अदिट्टपुवं, P रसियव्वं । 20) अइट्ठरवं, । लोमदेवेश. 23) भिहो for भिगो. 24) P पी गतुंग, P रणतरमणि लो. 25) " गेहूं for गेयं. 29) J कप्पतरु, पारियायसंवलिया. 31) Jविव for रूब. 32) J परिहारेग. 33) Jद गवे for विभवं, P धरिउं. 34) विततरस, वित्धारियं, 'ज्झति, P खनि. 35) F जो for सो. 36) P भरिओ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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