Book Title: Kulingivadanodgar Mimansa Part 01
Author(s): Sagaranandvijay
Publisher: K R Oswal

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२१) मो हम पिशाचपंडिताचार्यों और उनके गुलाम अन्ध-सेवकोंने अपवाद को पछेडी अोढी है । धोल किया भगवंत-महावीरशासनानुयायियों के शरण में रहने से नो हमको इस प्रकार की मौजशौख मिल नहीं सकती और न उनमें उक्त लीलाओं का गुब्बार छिपा या दवा रह सकता है। इससे हमारे अपवाद की पछेडी ऐसी प्रभावशाली है कि जिस के सहारे या पक्ष से हमारी सारी मनमौजे विना भय के ही घट सकती हैं । अस्तु, अपवादसंवकाचार्य चाहे जितनी मौज लूट इससे हमे कोई मतलब नहीं । ____ पाठको ! अब हम आप लोगों से पूछते हैं कि-भिन्न भिन्न भवभीरू शासनप्रेमी-विद्वानों के तरफ से प्रकाशित ऊपर दिये हुए न्यूसपेपरों के निकरों में आलेखित लीलायें शासन की रक्षक हैं कि भक्षक ? इस प्रकार की अपवादियों के घर की कुटिल करतूतों (लीलाओं ) से शासन की रक्षा होती है कि शासन की निन्दा ? इन बातों का उत्तर ना के सिवाय आप कुछ भी नहीं दे सकते, तो इस बात को सामान्य बालक भी निःशंसय कह सकता और समझ मकता है कि वस्तुतः भगवान महावीर के निष्कलंक शासन को अपनी हार्दिक मौज मजाहों की पूर्ति के लिये ही अपवाद का शरण लेकर पीले, केशरिया या काथिया रंग के वस्त्र धागा करके कलंकिन बनाया गया है। शिथिनाचारी आधुनिक यति नाम बारियों के गाड़ी वाड़ी लाडी के प्रेम से भी सेकड़ों अंश में अपवादी. पीतवत्रधारी या उसके हिमायती पिशाचपंडिताचायौं का गाडी वाडी लाडी का प्रेम For Private And Personal Use Only

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