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( ७३ )
७ प्रश्न--प्राचाराङ्गटीकाकार महाराजने 'एतच्च सूत्रं जिनकल्पिकोदेशेन द्रष्टव्यं, वस्त्रधारित्वविशेषणात् गच्छान्तर्गतेऽपि वा अविरुद्धम् ' इस कथन से जिनकल्पी-विषयक सूत्र को गच्छवासी के लिये भी अविरुद्ध बताया, पर तुम ऐसा नहीं मानते हो, तो इसमें प्रमाण क्या है ?
८ प्रश्न-जीर्णप्राय शब्द का अर्थ जूने जैसा ( सादा ) नहीं होता और मादा कपड़ा अल्पमूल्य नहीं होता ऐसा तुम्हारा निज मंतव्य है उसके लिये तुम्हारे पास शास्त्रीय प्रमाण क्या है ? और शास्त्रोक्त कारणों की संख्या में यतियों की शिथिलता रूप कारण बतानेवाला शास्त्र-पाठ कौनसा है ?
प्रश्न-मरीचिकी विचारणा में 'सुकंधरा सपाणा' इस वाक्यसे श्वेत वस्त्र धारी समण ( साधु ) कहे गये हैं ऐसा सूत्रोक्त होनेपर भी इसको तुम अमान्य कहते हो तो इस अमान्यता का आधारभूत सबूत क्या है ? और अपवाद सावधिक नहीं होता, किन्तु ताजिन्दगी का ही होता है ऐसा शास्त्र का पाठ जाहिर करो ?.
वाचको ! बस पिशाचपंडिताचार्य की कुतर्को पर अब परदा पड़ता है, वह फिर कभी यथावसर से खुलेगा और समयपर ही असत्य कुतकों से वादि होनेवाले वोपदेवों की पोपलीला का खेल दिखावेगा। इसलिये अभी तो इस मीमांसा को चुपचाप बैठे हुए दिल लगाकर खुद वांचो, अपने अपने इष्टमित्रों को
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