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चाहिये कि ' गाड़ी वाड़ी लाड़ी के प्रेमी यतियों की शिथिलता अधिक हो जाने से महावीर शासन के अनुयायी जैन साधु साध्वियों को रंगीन कपड़े पहनना चाहिये । इस बात की सिद्धि या ऐसा ही सिद्ध करने के लिये अगर कोई भी प्रामाणिक शास्त्र का प्रमाणपाठ हो, उसको पबलिक में जाहिर कर देना चाहिये, जिससे कि पबलिक आम को पिशाचपंडिताचार्यों की सत्यता का पता लग जावे | वरना गाड़ी वाड़ी लाड़ी का प्रेम अपवाद पत्तावलम्बियों के ऊपर सवार हुए विना नहीं रहेगा । क्यों कि विन पायेदार मान्यता का शास्त्रीय प्रमाण दिये विना आधुनिक सभ्य समाज पर तनिक भी प्रभाव नहीं पड़ सकता । इससे खाली अपवाद अपवाद की माला फेरना निष्फल ही है, ऐसा सामान्य मनुष्य के भी समझ में भले प्रकार आ सकता है ।
परस्पर विरोधी लेख
" उपधानिया मेवा और अपवाद की मौज में निमग्न मनुष्य मदमत्त या मदमत्त होकर जो कुछ लिखते या बोलते हैं, उसमें उनको परस्पर विरोधी लेख लिखने का भान नहीं रहता । ऐसे लोग जो कुछ मन में श्राया उसीको घसीट डालने में अपनी बहादुरी समझ बैठते हैं । इस बात के दृष्टान्त ढूंढने के लिये अधिक दूर जाने की जरूरत नहीं, इसका ताजा दृष्टान्त चपेटिका के वांचने से ही मिल सकता है जो अपवादियों की विचित्र अक्ल का एक नमूना है।
चपेटिका के ११ वें पृष्ठ की प्रथम पंक्ति में पिशाचपंडिता
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