Book Title: Krushi Karm aur Jain Dharm
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Shobhachad Bharilla

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Page 33
________________ [ २९ ] " है । वास्तव में पुण्य के उदय से खेत मिलता है और खेत जोतने वाला जगत् की रक्षा करके पुराय का भागी होता है । हमारा खयाल है, पाठक इतने विवेचन से भलीभाँति समभा सकेंगे कि जीवननिर्वाह के कार्यों में कृषि का स्थान क्या है और वह धर्म से संगत है या विसंगत है ? 10 100 Synthosam 1777 ZARGUMENTA

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