Book Title: Krushi Karm aur Jain Dharm
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Shobhachad Bharilla

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Page 80
________________ [ ७२ ] जैनशास्त्रोग्रे गृहस्थजीवनमा खतीनो विरोध कोज नछ श्रेम स्पष्ट पणे-उपर जणावेलां प्रमाणार्थी-मालूम पडे छे. जीवनमा सत्य अने अहिंसातुं पालन करणे जीवननां धारण पोपण अने सत्वसंशुद्धि ने माटेनी वधी प्रवृत्ति श्रेया श्रे यतनाथी करवी अमांज अनो धर्म समालो हे अने श्रेम गतनापूर्वक आचरण करनार मुमुनु कई पाप कर्म बांधतो नथी. अज आपणु धर्मवचन छे: जयं चरे, जयं चिट्ठ, जयं श्रासे, जयं सए । जयं भुजन्तो भामंतो पावं कम्मं न बन्धह। निबंधनियोजकःप्रबोधचन्द्र वेचरदास पंडित MMADURAISHIDANAUTIYAMITTALLEN BOSSETTOMIFIm JILIM נוונת DOAX HD JURA N

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