Book Title: Krushi Karm aur Jain Dharm
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Shobhachad Bharilla

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Page 79
________________ [७१ ] तो नहिंज. अक वखन वो हतो के ज्यारे हिन्दुस्तानमां अन्न खुटतुं नहिं, अने अनेक यशो करवा छतां घी दूध दुर्लभ थतां नहि धीरे धीरे देशनी राजकीय स्थिति पलटाई अने आजे श्रेवी स्थिति प्रावी छे के हिन्दना अनाजना भंडार कही शकाय अवा प्रांतना लोको ने मुठी चोखा माटे हाथ लांवो करवो पडे छे. आवा समयमां कृषिनी अगत्य समजाववानी भाग्येज जरूर होय लाखो वल्के करोड़ो माणसोनों व्यवसाय ज खेती होय अने जगत श्राखु अ व्यवसाय उपर अवलवित होय त्यारे व्यवसाय निषिद्ध हाई न ज शके. ___ अर्यशास्त्रीओ कहे छे के हिंदुस्तानमांजोईये अथी बधारे वस्ती छ भने अथी लोको भुखे मरेछ. पण ) अर्थशास्त्रीओने हिन्दुस्ताननी परिस्थितिनी खबर नथी प्रेम प्रापणे कही शाकीने हिंदुस्तानमां केटलीय जमीन वणखेडाअली पडी छ, बालाकप्रदेशाने लोकोओ निरुपयोगी गणी नाख्या छे अने सरबार देशनी न होवाथी देशनी आर्थिक अने सामाजिक उन्नति तरफ ध्यान नथी अापती-अने आने लीधे अम लागेछ के जाणे हिन्दुस्तानमां वस्ती बधी पडी छे अने भूखमरो फेलायो छे; जो नकामी पड़ी रहेली जमीनने खेडवामां यावे, कृषिविषयक योग्य शेधिखोलो थाय अने स्वदेशी सत्ता से काम हाथमा ले तो सारोद्धार संभवी शके हिंदुस्ताननां चालीसे करोड़ जीवमाथी कोई ने भूख्या न रहेQ पडे अवी हिन्दुस्ताननी प्रावादी खेती उपर ज अवलो छ आवे वखते खेती करवी, श्रे अंक प्रापधर्म नबी परन्तु अंक फरज छे.

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