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" है । वास्तव में पुण्य के उदय से खेत मिलता है और खेत जोतने वाला जगत् की रक्षा करके पुराय का भागी होता है ।
हमारा खयाल है, पाठक इतने विवेचन से भलीभाँति समभा सकेंगे कि जीवननिर्वाह के कार्यों में कृषि का स्थान क्या है और वह धर्म से संगत है या विसंगत है ?
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Synthosam
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