Book Title: Krushi Karm aur Jain Dharm
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Shobhachad Bharilla

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Page 58
________________ [ ५४] जो कोई गृहस्थ पोताने माटेज वापरवा गाडां राखे, तो ते । ध्यान राखी शके, बलदने थती हानि ने रोकी शके अने श्रेवी स्थूल प्राणातिपातविरमण व्रतथी उगरी शके. आ हेतुने लक्ष्यमा राखीने जानंदादि श्रावकोने पोताना वेपार अने। उपयोग माटे गाडी राखवानी छूट आपेली हती. तेज प्रमाणे 'फोडीकम्मे नो अर्थ समझवानो के हजारो अफर जसीन उपर श्रेकज माणस खेती करे-करावे-अने अने माटे हजारो मजूरो रोके, अने मोटापाया उपर कृपिकर्म चलावे तो जरूर स्थूल प्राणातिपात विरमणव्रतनो भङ्ग थायज कारण के पछी धरती खेडतां लोभ ने असंयम वधे, अने अथी खेड करनारा माणसो पाथी हद उपरान्त मजरी करवाय, अने खेतीमां थती हिंसा ओछी करवा तरफ ध्यान आपवाने बदले धान्यलाभ अने तेथी थता अर्थलाभ प्रत्येज दृष्टि रहे. खेती करतां हिंसा तो जरूर थाय छेज, कारण के पृथ्वी उपर अन अन्दर रहेला अनेक जीवोनी हानी थाय छे, अने अमाय ज्यारे हजारो अकर उपर अक माणसना नेतृत्व नीचे खेती थाय त्यारे श्रे जीवहानी पोछी करवा तरफ लच्य ज न जाय. पण जो अ माणस पोताना कुटुम्ब निर्वाह माटे खेती करे तो तेना स्थूल प्राणातिपातविरमणवतनो भङ्ग थतो नथी. खेती अनिवार्य छ। कारण के गृहस्थमात्र फलमूल खाइने जीवी शकवाना नथी, पण ज्यारे खेती करवीज पडे त्यारे यतनाथी करवी अने बहु मोटा पाया उपर न करवी अ फोडीकम्मेनो अर्थ छे. आहेतुने

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