________________
[ ६४ ]
सिद्धकरी, अने थे माटे प्रमाणभूत शास्त्रोने पण तपास्यां. हवे जुदां जुदां शास्त्रोमांथी मलतां वीजा प्रमाण नोंधीश. -
आवश्यक सूचना पहेला विभागमां, पहेलांना लोको केवा - हता, तेनुं वर्णन करेतुं छे से लोकोने आदीश्वर भगवा केटलाय आवश्यक व्यवसायो शीखच्या अनु वर्णन आवे छे. अम पहेलुंज स्थान कृषिनुं प्रावे छे
C
कम्मं किसिवाणिजाइ मामणा जा परिग्गहे ममया । पुत्रि देवेहिं कया त्रिभूमणा मढणा गुरुणो ॥ इत्यादि धरण व्यवसायो गीखवाड्या, परन्तु आप कृषि तरफ ध्यान आपीछे.
ऋषभदेवे लोकोने कृपि शीखडावी. कृषि जो निषिद्ध होत तो ज्ञानी भगवान कृषि शा माटे गीखवाडे ? कृषि धर्माचरण होत तो आदीश्वर भगवाने जरूर कोई वीजो धर्म्य व्यापार उपदेश्यो होत परन्तु प्रेमणे वीना वधा व्यापारोमां कृपिने प्रथम स्थान प्राप्यं से ज कृपिनी अगत्य अने अनुं निर्दोषपणु साधवा पुरतुं छे. जन समाजने कृपिनी जरूर श्रादिकालश्री दती ने श्रादिकालश्री भगवाने खेती नो उपदेशकर्यो हतो. आ प्रमाण खेती अने जैनधर्म वचे विरोध दर्शावे छे ज
जैनधर्ममां दाननो महिमा खूप आवे छे. शुद्ध ने पवित्र दान करवाथी केटलाय गृहस्थोने कर्मनी निर्जरा अने अनेक विध पुग्यो थपलानी कथाओनी जैन साहित्यमां खामी नधी