Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 627
________________ 28 ] .. षडशीतिनामा चतुर्थः कर्मग्रन्थः जोगा तिरियगईए, तेरस आहारगदुगुणा // 35 / / नरगइपणिदितसतणुनरअपुमकसायमइसुओहिदुगे / 'अञ्चक्खुछलेसाभव्वसम्मदुगसन्निसु य सत्वे // 36 / / एगिदिएसु पंच उ. कम्मइगविउब्विउरलजुयलाणि / कम्मुरलदुगं अंतिमभासा विगलेसु चउरो त्ति // 37 // कम्मुरलदुग थावरकाए वाए विउविजुयलजुयं / पढमंतिममणवइदुगकम्मुरलदु केवलदुग'मि // 38 // थीवेअन्नाणोवसमअजयसासणअभवमिच्छेसु / तेरस मणवइमणनाणछेयसामइयचक्खुसु य / / 36 / / 'परिहारे सुहुमे नव, उरलवइमणा सकम्मुरलमिस्सा / अहखाए सविउव्वा, मीसे देसे सविउविदुगा // 40 // कम्मुरलविउव्विदुगाणि चरमभासा य छ उ असन्निम्मि / जोगा अकम्मगाहारगेसु कम्मणमणाहारे // 41 // नाणं पंचविहं तह, अन्नाणतिगं ति अट्ट सांगारा।। चउदंसणमणगारा, बारस, जियलक्खणुवोगा // 42 // मणुयगईए बारस, मणकेवलदुरहिया नवन्नासु / थावरइगिबितिइंदिसु अचक्खुदंसणमनाणदुर्ग . // 43 // चक्खुजुयं चउरिदिमु, तं चिय बारसपणिदितसकाए / जोए वेए सुकाएँ भव्सन्नीसु आहारे // 44 // केवलदुगहीणा दस, कसायपणलेसचक्खुचक्खूसु / केवलदुगे नियदुर्ग, खड़गे नव नो अनाणतिग / / 4 / / पढमचउनाणसंजमवेयगउवसमियओहिदंसेसु नाणचउदंसणतिगं, केवलदुजुयं अहक्खाए. // 46 // नाणतिगदंसणतिगं, देसे मौसे अनाणमीसं तं / केवलदुगमणपज्जववज्जा अस्संजयंमि नव // 47 // १"अचक्खु छल्लेसा." इत्यपि / 2 "थौवेयअनाणो०" इत्यपि / तथा "जोगाऽऽहारदुगुणा तेरस थीमाइनवसु दारेसु / ओरालमिस्सकम्मणरहिया मणमाइछण्हं वि॥ // " इति प्रक्षिप्तगाथाऽधिकतया हस्तलिखितप्रवौ दृश्यते। 3 “परिहारसुहम्मे" इत्यपि पाठः। 4 "मणा ते सकम्मु” इति पाठः /

Loading...

Page Navigation
1 ... 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716