Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 648
________________ सप्ततिकाभिधः षष्ठः कर्मग्रन्थः उदयस्सुदीरणाए, १सामिचाओ न विज्जइ विसेसो / मुत्तूण य ३इगयालं, सेसाणं सव्व४पयडीणं // 53 // 7 // नाणंतरायदसगं, दसणनव वेअणिज्जमिच्छत्तं / / सम्मत्त लोभ वेआ-उआणि नवनाम उच्च च // 54 // 68 // 5 / ६तित्थयराहारग विरहिआओ, अज्जेई सव्व-पयडीओ। मिच्छत्त वेअगो सा+सणो१०वि गुणवीससेसा।।५५॥६६॥ छायालसेसमीसो, अविरयसम्मो ११तिआल१२परिसेसा / / १३तेवन्न देसविरओ, विरओ १४सगवन्नसेसाओ // 56 // 70 / / १५इगुणट्ठिमप्पमत्तो, बंधइ देवा१६उअस्स इअरो वि / / १७अट्ठावन्नमपुव्यो, १८छप्पन्नं वावि छन्वीसं // 57||71 // 'बावीसा एगणं, बंधइ १६अट्ठारसंतमनिअट्टी / २०सतरस सुहुमसरागो, सायममोहो२१सजोगुत्ति // 58 // 72 // एसो उ बंध२२सामित्व,-ओहो गइआइ२३एसु वि तहेव / / ओहाओ २४साहिज्जइ, जत्थ जहा २५पगइसब्भावो / / 59 // 73 // तित्थयरदेवनिरया-२६उअंच तिसु तिसु गईसु २७बोधव्वं / / अवसेसा २८पयडीओ, हवंति सव्वासु वि गईसु // 60 // 74 / / पढमकसायचउक्क, दसण२९तिग सत्तगा वि उवसंता, ३०अविरयसम्मत्ताओ, जाव ३१निअट्टित्ति नायव्वा / / 61 / / 75 / / -- 1. "सामित्ताए” इत्यपि / 2. "मोत्तूण” इत्यपि / 3. “ईयालं" इत्यपि, "इगुयालं" इत्यपि वा / 4 "पगडीणं" इत्यपि, 'पगईणं" इत्यपि / 5 "मणुयगइजाइतसबायरं च पज्जत्तसुमगमाएज्ज / जसकित्ती तित्थयरं नामस्स हवंति नवए य॥ // " इतिगाथा / 68-66 तमगाथयोर्मध्येऽधिकतया हस्तलिखितप्रतौ प्रक्षिप्ता दृश्यते / 6 "तित्थगरा" इत्यपि / 7 विरहिआउ" इत्यपि, "०वजियाउ” इत्यपि / 8 "पगईओ” इत्यपि, "पगडीओ" इत्यपि वा / / "०वेयगो” इत्यपि / 10 "वि उगुवीसेसाओ" इत्यपि “वि इगु. वीससेसाओ" इत्यपि, “उ उणवीससेसाओ" इत्यपि वा / 11 "तियाल" इत्यपि। 12 "०परिसेस" इत्यपि ! 13 'तेवष्णः" इत्यपि, / “तेपन्न" इत्यपि वा। 14 "सगवण्ण" इत्यपि, “सगपन्न" इत्यपि / 15 इगुसट्ठि०" इत्यपि, “उगुसट्ठि०' इत्यपि वा। 16 “उयस्स त्यरो वि" इत्यपि, "उगं च इयरो वि' इत्यपि वा / 17 "अट्ठावण्ण०" इत्यपि / 18 "छप्पण्णं” इत्यपि / 16 "अट्ठारस त्ति अनियट्टी” इत्यपि, 'अट्ठारसं ति अनियट्टी" इत्यपि वा। 20 "सत्तर" इत्यपि / 21 "सजोगित्ति" इत्यपि। 22 'सामिचोहो" इत्यपि, “सामित्तओधो" इत्यपि। 23 "०ए वि तह चेव" इत्यपि / 24 “साहेज्जा" इत्यपि।२५ "पगडि" इत्यपि / 26 “२उगं च” इत्यपि, "0 उयं च" इत्यपि वा / 27 "बोद्धव्वं' इत्यपि / 28 "पगडीओ इत्यपि / 26 "विय सत्तया वि" त्यपि / 30 "अविरत" इत्यपि / 31 "नियट्टी" इत्यपि / ...

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