Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 700
________________ // सार्द्धशतकभाष्यम् // नियहेउसंभवे वि हु भयणिज्जो जाण होइ पयडीणं / बंधो ता अधुवाओ धुवाउ अभयणिज्जबंधाउ // 1 // अव्वोच्छिन्नो उदओ जाणं पयडीण ता धुवोदइया / वोच्छिन्नो वि हु संभवइ जाण अधुवोदया ताओ // 2 // विणिवारिय जा गच्छइ बंधं उदयं च अन्नपगईए / सा हु परियत्तमाणी अणिवारिति अपरिवत्ता // 3 // मिच्छत्ता संकंती अविरुद्धा होइ सम्ममीसेसु / मीसाओ वा दं सु सम्मामिच्छं न उण मीसं // 4 // पलियाणि तिन्नि भोगावणिम्मि भवपच्चयं पलियमेगं / सोहम्मे सम्मत्तेण नरभवे सबदिरईए // 5 // मिच्छो पच्चइयाओ गेविज्जे सागराइँ इगतीसं / अंतमुहुत्तुणाई सम्मत्तं तम्मि लहिऊणं // 6 // विरयनरभवंतरिओ अणुत्तरसुरो य अयरछावट्ठी / मिस्सं मुहुत्तमेगं फासिय मणुओ पुणो विरओ // 7 // छासट्ठी अयराणं अच्चुयए विरयनरभवंतरिओ / तिरिनरयतिगुज्जोयाण एस कालो अबंधम्मि // 8 // छट्ठीए नेइओ भवपच्चयओ य अयरवावीसं / देसविरओ य भविउं पलियचउक पढमकप्पे // 6 // पुव्वुत्तकालजोगा पंचासीयं सयं सचउपल्लं / आयवथावरचउविगलतियगएगिदियअवंधो // 10 // पणवीसाएँ अबंधो उक्कोसो होइ सम्मगुणजुत्तो / बत्तीस सयमयराण हुति अहिया मणुस्सभवा // 1 // एयासि पयडीणं अबंधकालो य होइ सनिस्स / उक्कोसो विन्नेओ न उ सव्वजियाण एस विही // 12 // देवदुगं 2 नरयदुगं 2 विउव्वितिग 3 तस्स बंधणा चउरो / आहारसत्त एवं वेउव्वेक्कारसं नेयं // 13 // पण अंतरायअनापतिमि चक्खू अचक्खु दस एए /

Loading...

Page Navigation
1 ... 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716