Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 698
________________ सार्धशतकनामप्रकरणम् इय तिविहं संखिज्जं असंखय'मिओ उ जेट्ठसंखेज्जं / रूवजुयं संजायइ जहन्नयपरित्तयासंखं // 137 / 164|| तं विवरिय 'एक्किक्के ठाणे ठावित्तु तत्तियं रासि / अन्नुन्नब्भासे ताण होइ चउत्थं असंखिज्जं // 138 // 165 / / तं पुण जहन्नजुत्तं आवलियाए वि तत्तिया समया / एयकमा वितिचउपंचमे य 'अन्नुन्नअन्भासे // 136 / / 166 / / "सत्तमअसंखपढमचउसचमाणतया य हुँति कमा / रूवजुया ते मज्झा रूवूणा पच्छिमुक्कोसा // 140 // 167 // "एत्तियमेत्तं सुत्ते अन्नमयमओ चउत्थयमसंखं / चग्गिय 'मेकसि जायइ जहन्नयमसंखयासंखं // 14 // 16 // रूवजुयं तं मझ 'सव्वहि रुवोणमाइमुक्कोसं / तं वग्गियं तिवारं दस पक्खेवे खिवसु एए // 142 // 169 // लोगागासपएसा धम्माधम्मेगजीवदेसा य / दव्वडिया * निगोया पत्तेया चेव बोधव्वा // 143 // 170 / / ठिइबंधज्झवसाया अणुभागा जोगछेयपलिभागा / दोण्ह समाण य समया असंखपक्खेवया दस"उ // 144 // 17 // पुण वग्गिए तिखुत्तो तम्मि भवे लहुपरित्तयाणतं / तो तत्तियवाराओ तत्तियमित्ते ठवसु रासी // 145 / / 172 // ताण''न्नुन्नन्भासे जुत्ताणंतं जहन्नयं भवइ / एवइयअभव्वजिया रासिम्मि य वग्गिए तम्मि // 146 / 173 / जायमणंताणंतं जहन्नयं तं च वग्गसु तिवारं / तहवि परं तं न भवे तो खिवसु इमे छ पक्खेवे // 147 // 174 / / सिद्धा निगोयजीवा वणस्सई कालपुग्गला चेव / सव्वमलोगागासं छप्पेएणंतपक्खेवा // 148 // 17 // पुण तिक्खुत्तो वग्गिय केवलवरनाणदंसणे खित्ते / भवइ अर्णताणतं जिह्र ववहरइ पुण ममं // 146 // 176 / / १"मओ" इत्यपि / 2 “इक्किक्के" इत्यपि / 3 “जहण्ण" इत्यपि / 4 "अण्णुण्ण" इत्यपि / 5 "सत्तमसंखं" इत्यपि / 6 “होति" इत्यपि / 7 " इत्तिम०" इत्यपि / "मिक्कसि" इत्यपि / 9 "सव्वह"इत्यपि / 10 "वि'' इत्यपि / 11 “ण्णोण्ण" इत्यपि /

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