Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 696
________________ सार्धशतकनामप्रकरणम् पयडीभेया तत्तो ठिइभेयाणुक्कमेण तओ // 111 / / 138 // ठिइबंधज्झवसाया तत्तो अणुमागवंधठाणाणि / तोणंतगुणा'कम्मपएसा तत्तोरसच्छेया // 112 // 136 / / खेत्तं सुहुमं कालाउ जेण अंगुलपएससेढीए / समयपएसवहारे असंखओसप्पिणी होति // 113 / / 140 / / चउदसरज्जू लोको बुद्धिकओ होइ सत्तरज्जुघणो। तद्दीहेगपएसा सेढी पयरो य तव्वग्गो // 114 // 14 // पयडीओं - असंखेजा जं ओहिदुगे वि तारतम्मेणं / अस्संखलोगखपएसपमाणा हुंति 'खलु भेया // 115||142 // आजिद्रुट्ठिई हस्सट्ठिईउ समउत्तरा ठिईठाणा / सव्वपयडीसु एवं सव्वजिआणं पि ठिइभेया ||116 // 143 / / ठिइठाणे ठिइठाणे कसायउदया असंखलोगसमा / . अणुभागवंधठाणा इय "एक्केक्के कसाउदए // 117 // 144 // थोवाणुभागठापा जहन्नठिइपढमबंधहेउम्मि / "वीया विसेसअहिया जा चरमाए चरमहेऊ // 118 // 145 / / इय असुभाण सुभाण उ विवरीयं जिट्ठठिइचरमहेऊ / आरब्भ निज्ज आउसु ठिई ठिडं पइ असंखगुणा // 11 // 146 // समयभवसुहुमअगणी असंखलोगा तओ असंखगुणा / तेऊ तत्कायठिई कमसो अणुभागठाणा य / / 120 // 147 // अंतिमचउफासदुगंधपंचवन्नरसकम्मइगखंधे / अभवियअणंतगुणिए गिण्हइ तत्तिय मणू समए // 121 // 148 / / गहणसमए य जीवो नियपरिणामेण जणयइ रसाणू / सव्वजियाणंतगुणे कम्मपएसेसु सव्वेसु // 122 // 146 / / संखेज्जेगमसंखं परित्तजुत्तनियपयजुयं तिविहं / एवमणंतंपि तिहा जहन्नममुक्कसा सव्वे // 123 / / 150 / / संखेज्जगं जहन्नं दोच्चिय मज्झिममओ परं बहुहा / / 1 "कम्मप्पएस' इत्यपि / 2 'य रसछेया' इत्यपि / 3 'खित्तं" इत्यपि / 4 “हुति" इत्यपि / 5 "लोगो" इत्यपि। 6 “किल" इत्यपि / 7 "इक्किक्के" इत्यपि। 8 "बीयाइ विसेसहिया" इत्यपि / . अणू" इत्यपि / 10 "दुच्चिम" इत्यपि /

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