Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 709
________________ दृवं शुद्धिात्रकम पृष्टम् पङ्क्तिः अशुनिः शुद्धिः पृष्ठम् पङ्कितः अशुभिः शुद्धिः 12 10 ०चारद्वारा चागद्वा 16 11 लोकाद / लोकादू 16 12 नोर्व नंदुर्च 12 27 प्रकाशो ०प्रकारो 16 13 मते नाहीं एषु / ०मतेना ऽऽद्यषु 12 30 चारकर्म वारककर्म. 16 17 नाडी बहिन नाडिबाहिक 13 1 नंतर नोत्तर 16 18 पञ्चमेवा पञ्चमे त्वा 13 1 शेषण शेषेण 16 22 भूयनिजरणं भूय निर्जरणं 13 10 कास्तदा से० कास्तदा-से. 19 22 शानन मित्यर्थः शात नमित्यर्थः 13 १०-११.निविष्ट निर्विष्ट 16 23 द्ध 12 रिकाः। कल्पं रिकाः कल्प० - 16 23 यदुक्तंम यदुकाम 13 21 पाण्मा० षण्मा० 16 27 दहिः . 'बहिः 16 13 24 गन्त्र माना गच्छन्ति गच्छमागच्छन्ति 28 क्षेत्र क्षेत्र.. .. 13 27 शमय 16 31 हैम. हेम. शमक० 13 26 शमय० शमक० 19 31 वृत्य . वृत्त्य शरीरा० 20 10 शरीर० 14 3 मुइय/ क्खाय मह. मुइयं/ क्खायं अह. 20 17 करणे करण 14 6 वु. वु. 20 16 शातयति 15 6 न्यस्था. . शातयति) त्यस्ता 14 10 नार्थता 20 27 व्ये पूरि० न्ये ऽपूरि० नार्थे तत्र पो. 14 14 वजे 21 2 चाष्टसामायिकः च ष्टसामयिका 21 . व्य.श्चत्वारः याः पन्च 14 21 सहा पसाहा 21 14 नियटा . नियटी .. 14 24 नीला 21 21 दया ०दयाद् 15 16 सांप्र० 22 1 चतुर्थ कर्मग्रन्थ चतुर्थे कर्मग्रन्थे 15 24 भेट द्वयम्, भेदद्वयम् 22 2 न निर्मि० , न-ऽनिर्मि: 16 2 यन्त्र न्यत्र 22 3 प्राप्तामत्यः प्राप्तमित्य० 16 12 बाद बादर 22 4 विशेषेण . . विशेषेण 16 116 विगल हुंति... १विगल--२ {शि 22 4 सागरा सागरो . . मनिको ...3 सन्निको 22 5 त्रिशतं . त्रिंशतं 16 17 पटेकदशे पर्दैकदेशे 5 गय क्ष यि. 6 19 पञ्चवचन पञ्च वचन 22 7 निर्व वार्थनिर्व 16 25 ग्गे रंगे 23 2 सम्याष्ट /मिथ्या सम्यग्दृ/मिया 16 27 निऊमम्मि" तिअसन्नि" 23 3 सम्यष्टष्टि सम्यग्दृष्टि 17 2 क्षायौ० क्षायो 23 3 भूत्यैव भृत्वैव 17 22 तत्रैकषडुदयो तत्रैकः षड्यो 23 4 क्रमैण .. 17 27 02 21-22 23 6 सद्ध णं सटाणं 18 29 ०प्त्यद्यागमा ज्य द्यागम 23. 27/28 मुहूत्त दीघों मुरीदीर्घा 16 10 अर्थ भथ 23 26 . द पूर्वा 0 दपूर्वी नील संप्र० क्रमेणे

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