Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 705
________________ | মুব্রিথম पृष्ठम् पङ्क्तिः अशुद्धिः शुतिः पृष्ठम् पङ्क्तिः अशुद्धिः शुद्धिः 81 23/25/27 सघगो/सघणी सधणो/सधणी 120 1 स्वा० सवा० 2 20 जइ जह . 123 21 सन्निवि० सन्नवि. मन्नि; भवन्ति | 13 25 स्यानद्धि स्त्यनिर्द्धि 1. 12 व्शुद्विरेथी शुद्धिरा 125 11 लघुघा लघुग्घा० 11 12 चद. चंद० 128 7 सर्वसां सारिक० सर्वसासारिका 91 21 निर्वात्ति निर्वत्ति 128 9 'लेश्यः' 'लेश्याः ' 6 सङ्कमा मङकमा 128 18 दृष्टव्यम् द्रष्टव्यम् १७-१८०न्युष्टष्टा न्यु-कृशा 128 31 , (?) इ. इ. . 14 25 युगदू० युगपद्धि. 16 10.11 1314 1213 14 26 युगपद्वि० युपद्धिर 126 16 तिणूYणु तिनणूणु 55 12 कृत्स्त्र कृत्स्न 131 27 ८दृष्टो दृशो 14 तत्र भग० तत्र केवलिनो मग 135 15 केवलिनो नेहाधिकारः नेहाधिकारः 15 9 वोच्छिन्नाः॥२॥ वोच्छिन्ना॥१॥ 35 30 ख्यानांख्यानं 16 13 व्यवगत० व्यपगत० 139 22 मयतरेणं मयंतरेणं 171 सङ्ख्या सख्या 14. 10 त्रयस 101 2 नाक०/०समव. नरक०/०संभव 140 यावद्धि 25 दृष्टया 101 21 यावद्विः द्रष्टव्या 142 23 कायेंनव कायेनैव 102 1 स्त्वा० (स्तवा० 144 20 मत्य ज्ञान० मत्यज्ञान 1.3 21 नाम नामा० 146 16 सयोग्यन्तेषु। सयोग्यन्तेषु 105 26 सम्लेश संक्लेश 147 , 21 चतुष्कं चतुष्कम्, 106 20 ०विशेषात्माके विशेषात्मके 141 1 ०स्वामित्वम स्वामित्वम् 107 7-8 केश-ब. केशवा ब० 150 ८.सयत० संयत. 288 78 ०देतषा. देतेषा० 15. 11 - ओवसमं खओवसमं 108 20 प्रधान्यं प्राधान्यम्। 11 4 इत्युवता इत्युक्ता 151 6 श्रेणिव श्रेणिस्थ 106 26 रोदाकादि रौदारिकादि 152 5 कामकार्मण 101 28 वर्गण. वर्गणा. 152 20 प्रयरण प्रकरण 110 12 वर्ष वर्ष 111 22 नैकेन्द्रियाण, नेकेन्द्रियाणाम् , 555 7 किचि किंचि 111, 26 क्त्या शास्यात्००क्त्याःशङ्का स्यात् 155 57 प्रक्रन्त * प्रक्रान्त. . 113 16 शरी० . शरीरे० . 156 12 चत्र - 115 1 चामूनिन्यग्रो. चामूनि न्यग्रो. 157 1 मङ्गलादिकम मजलादिकम् . 155 12 दुस्वरं दुःस्वरं 157 17 क्षणमोह क्षीणमोह 118 11 शरी० . शरीर... 158 27 वास्तां भलं वास्ताम अलं 111 12 द्वितिय. द्वितया 158 28 मिधनं भिधानं

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