Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 660
________________ * सप्ततिकाभाष्यम् * णमिऊण महावीरं कम्मट्ठपरूवणं करिस्सामि / बंधोदयसंतेहिं सत्तरियाचुन्निअणुसारा // 1 // णाणतरायदसणवरणे वेयणियआउगोयाणं / सुगमित्ति किंपि दंसिय सेसंपि समासओ वोच्छं // 2 // णाणंतरायदसगं बंधहि मिच्छाउ जाव सुहुमोत्ति / उदसंतं . जा खीणो आवरणं दंसणस्सित्तो // 3 // जा सायणु नवबंधी मिच्छा उवरिं छबंधि जाऽपुव्वो / अप्पुव्वा जा सुहुमो निदादुगविरहिचउबंधी // 4 // मिच्छा जा उवसंतं नवसंतं उदयचारिपणगं वा / खवगाण वि नवसन्तं जा बायर भागसंखेज्जो // 5 // उवरिं खीणदुवरिमं जा छ उ चउ संति चरिमि खीणस्स / उदए पुण खवगाणं चत्तारि उ सणावरणे // 6 // चउपणगं वा उदए खीणदुचरिमं तु जाव अन्ने उ / भणियं दंसणवरणं संपइ पभणामि वेयणियं / / 7 / / जाव पमत्तु असायं सायं जोगंत जयहि मिच्छादी / अस्सायं सायं वा उदए दो संति भंगचऊ // 8 // बंधविणा उ अजोगी जाव दुचरिमं दुसंति ते वुदया / चरिमे वि ते वि उदया उदयगयं 'संति भंगचऊ // 6 // आउस्सेगं बंधे एगं उदयम्मि संति दो हुँति / जा बंधो उदएगं दो संतं बंधविरमम्मि // 10 // एवं नरतिरियाणं दुसंत अट्ठट्ठभंग चउगइसु / आउचए 'जोग्गाणं नेरइयसुराण पुण एवं // 11 // भंगचऊ पत्तेयं जं ते बंधंति आउदुगमेव / * सव्वेसिमुदयसंतं एगेगं बंधपुव्विं तु . // 12 // 1 "बंधहिँ" इत्यपि / 2 "बंधा" इत्यपि / 3 "मागुसंखिजो इत्यपि मुद्रितप्रतौ / 4 "जयहिँ" इत्यपि। ५"संत" इत्यपि / 6 "जुग्गाणं' इत्यपि /

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