Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
View full book text ________________ सप्ततिकाभाष्यम् दस भंगा 'उरलम्मी विउन्धिपज्जेगु जाण चउवीसे। 'बायरविउविदेहं पत्तेयं वित्थ य विसेसो // 95 / / पज्जचउवीस पणुवीस होइ परघाय सत्त तहि भंगा / / पत्तेय?सुहमरजसजुयलि "छाओ एको य वेउव्वे // 16 // ऊसासे छव्वीसा तत्थ वि ते सत्त अहव 'उज्जोयं / 4 / / अहवा वि आयवेणं 2 चउरो 4 दोर गिदि छव्वीसा ||7|| सासव्वीसमज्मे आयवउज्जोयएगयरि छूढे / सत्तावीस छ 6 भंगा एगिदियभंगवायालं // 8 // जा इगवीसा एगिदियस्स विगलाण होइ सा चेव / किंतु तसवायरं चिय पाठो भंगा य 'तिन्नेवं / / 16 / / अपसत्थपञ्जभंगो एगो नरएसु अट्ठ वि सुरेसु / / नव तिरिनरेसु जवडिल्लि भंग सेसो उ विगलकमो // 10 // धिगलइग वीसि अणुपुग्विविरहिए खिवसु हुँडसेवट्टे / / उरलदुगं . उबघायं पत्तेयं चेव छव्वीसा // 101 / / तं भंगतियं सा वि हु दुखगई परघायखिवणि अडवीसा / भंगा य ''दोन्नि इत्थं अपजभंगा जओ नत्थि // 102 / / ऊसासुजोयाणेगयरे गुणतीस भंग चत्तारि / सासगुणतीसतीसा सुरदुगउज्जोयं एगयरे // 103 / / "छब्भंगा सर तीसा इगतीसोजोयएण भंगचऊ / बेइंदियबावीसा छावट्ठी सव्वविंगलाणं // 14 // संगलोणं छव्वीसा एवं नवरं तु रासिजा भंगा 288 / अप्पञ्जभंग अप्पसत्थजुत्त 1 अडवीस पुण एवं // 10 // खगईदुगएगयरे परघाए खित्ति रासिजा 288 दुगुणा / रासिज२८८भंग चउगुणा४ गुणतीसे सासि जोए वा // 106 / / ऊसांसें गुणतीसें सरदुगउज्जोयएगयरखेवे / / १'उरलम्मि उ! इत्पपि मु / 3 “जाणि" इति ह. प्रतौ / 3 "बायरु" इति मुः। 4 "इत्थ' इत्यपि मु०॥ 5 "छा इक्को उ" इति मु०।६"उज्जोए' इत्यपि मु.७ "छब्बीसे" इत्यपि।"तिन्नेव" इत्यपि मु.। . ९०वीस" इति मुंः / 10 "परिधा०" इति मु. / 11 "दुन्नि" इति मु. / 12 “छ य” इत्यपि मुः।
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