Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
View full book text ________________ - सप्ततिकामाष्यम् इगतीसंता इगवीसमाइणोः मिच्छि सच्चि उदयाओ / : र त्तट्ठवीसरहिया ते चेव उ सत्त सासाणे // 130 // रणतीसाई तिनि उ इगतीसंता उ मिस्सगुणठाणे / / चउवीसरहिय अजए देसे चउछेग-२४-२६-२१-वीसूणा।।१३१॥ विरए वेवं नवरं इंगतीसाए य रहिय अपमत्तो / गुणतीसतीस पुव्वा जा खीणो तीस जोगेवं // 132 / / चउपणअहिया वीसा नव अट्ठ य 'मोत्तु अट्ठ उदयाओ। नव अट्ठ अजोगंमी भंगोवाओ इमो. .. तेसु // 133 // 'सुहुमतिगं सुहुमतसा मिच्छे इंगविगल जाव सासाणे / उदया 'वि न संतेए सासाणे नरगइगवीसा // 134 / / एगिदिसु छव्वीसा नरतिरि गुणतीसतीस वुजोई / सुरवजा पणवीसा इगतीसा तिरिसगलसेसा // 135 / / मिश्रे विशेषमाहनरतिरिए गुणतीसा तीस वि जोएण नत्थिणमीसाण / अण एजदुहयमजसं देसाईणं न य उदेइ. // 136 // गुणतीसंतुद एहिं संजयदेसा न हुँतुरलदेहा / ' आहारनरूज्जोया जइस्सऽपुव्वऽट्ट केवलिणो // 137 // / संघयणे पढमे चिय सेढी तिन्नाइ. अन्नि उवसमगे / तित्थयरे समचउरं सरखगई सुप्पसस्थित्ति // 138 // . नियउदयभंगसंखा अजोग्गरहिया, भवे. निययसंखा / गुणठाणे गुणठाणे भंग चिय. 'संपयं बुच्छं // 136 / / सत्तत्तरितेवत्तरि 7773. भंगसया मिच्छसासणे एवं / चारि सहस्सा सगनउय 409 मीसि चउतीस पणसट्टा३४६५ // 140 // अजए इगवन्नसया इगचत्ता ५१४१देसि चउसयतिचत्ता४४३ / अट्ठवन्नसय छठे 158 अडयालसयं 148 तु अपमत्ते // 14 // . 1 "मुत्त" इत्यपि मु.। 2 "य" इत्यपि मु.। 3 इयंगाथा मुद्रितप्रतावित्थम्-'सगलतिरिसेसइगतीस असुरपणुवीसिगिदि छव्वीसा / तिरिजोई विगलतीसा तिरिमणुयाणं च गुणतीसा" इति / 4 “अणुइज्ज" इत्यपि मु० / 5 "०एसु" इत्यपि मु० / 6 “संपइं!' इत्याप मु०।
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