Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 688
________________ सार्धशतकनामप्रकरणम् सव्वगुणेसाहारं सासणमिस्सरहिएसु वा तित्थं / नोभयसंते मिच्छो अंतमुहुत्तं भवे तित्थो // 40 // // 52 // दारं / 3 / केवलियनाणदंसणआवरणं बारसाइमकसाया। मिच्छत्त निद्दपणगं इय वीसं सव्वघाई उ // 41 // 53 // सम्मत्त नाणदंसणचरित्तघाइत्तणाउ घाईओ। तस्सेसदेसघाइत्तणाउ पुण देसघाईओ // 42 // 54 // संजलणनोकसाया चउनाणतिदंसणावरणविग्धा / पणुवीस देसघाई सेस अघाई सरूवेण // 43 // 5 // दारं / 4 / नरतिरिसुराउ उच्चं सायं परघाय आयवुज्जोयं / तित्थुस्सासनिमाणं पणिदिवइरुसहचउरंसं // 44 // 56 // तसदसचउवन्नाई सुरमणुदुगपंच तणुउवंगतिगं / अगुरु लहुपढमखगई बायालीसं ति सुहपयडी // 4 // 57 // थावरदसचउजाई . अपढमसंठाणखगइसंघयणा / तिरिनरयदुगुवघायं वनचऊ नामचउतीसा // 46 // 5 // नरयाउनीय अस्साय घाइपणयालसहिय बासीई / असुहपयडीउ दोसु वि वनाइचउक्कगहणेणं // 47||56 / / दारं / निदाउ 4 गोय 2 वेयण 2 कसाय 16 हासाइदुजुयल 4 तिवेयं 3 / अणुपुब्बि 4 तितणु 3 वंगा 3 गिइ 6 गइ 4 संघयण 6 जाई उ 5 // 6 // तसवीसु 20 जोयायव 1 खगई 2 परवत्तिणी उ इगनउई। पडिवखुदयं बंधं व रुधिउ जा उ वट्टति // 1 // नाणंतरायदंसणचउक्क परिघायतित्थमुस्सासं / नामधुवबंधिनवमिच्छ भयदुगंछा अपरियत्ता // 48 // 62 // दारं / संठाणा संघयणा सरीरुवंगाणि आयवुज्जोया / नामधुवोदयसाहारणियरउवघायपरघाया .. // 46 // 63 // उदइयभावा पोग्गलविवागिणो आउ भवविवागीणि / खिरविवागणुपुव्वी जीवविवागी उ सेसाउ // 50 // 64 // १"०वरणे” इत्यपि / 2 “मुच्चं" इत्यपि / ३"मायवु०" इत्यपि / 4 "०लघु०" इत्यपि / ५"०मस्साय" इत्यपि / ६"परघाय” इत्यपि / 7 पुग्गल०" इत्यपि /

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