Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 691
________________ सार्धशतकनामप्रकरणम् निद्दापणगमसायं संजलणपुमेहि वज्जिओ मोहो / .. वेउव्वेकारसतिथिकित्तिआहारसगरहिया // 3 // नामस्स य तेयासिं नीएण समं सयं तु इक्कारं / नियनिय उक्कोसाओ मिच्छत्तठिईए हरसु भागं // 14 // एसेगिदियजिट्टो 'पलियअसंखंसहीणलहुबंधो // 'पणुवीसा पन्नासा सयं सहस्सं च गुणकारो // 7 / / 15 / / कमसो विगलअसन्नीण पल्लसंखंसऊणओ डहरो / सुर नरयाउ समा दस सहस्स सेसाउ खुड्डभवं // 76 / / 66 // सहसगुणेगिदिठिई विउव्विछक्के जओ असन्निसु तं / केसिंचि सुराउसमं तित्थं आहारगंतमुह // 77 97 // भिन्नमुत्तमबाहा सव्वासि सव्वहिं डहरबंधो / आउसु जिट्ठो वि जओ संखिप्पद्धा भवे तेसु // 9 // खुड्डभवा 'साहीया सत्तरस * भवंति एगपाणुम्मि / पाणु एगमुहुत्ते तिसत्तरा सत्ततीससया // 76 / / 99 / / पणसट्ठिसह[स]स पणसय छत्तीसा इगमुहुत्तखुड्डभवा / दो य सया छप्पन्ना आवलियःणेगखुडुभवे // 8 // 100 // .. अयरंतकोडिकोडीओ अहिगो सासणाइसु न बंधो / हीणो न अपुन्वंतेसु नेव य अभव्यसनिम्मि / 81 // 101 // अमणुक्कोसाउ विरयउक्कोसो देसविरयहस्सियरो / सम्मचउसन्निचउरो ठिइबंधाणुकमसंखगुणा // 2 // 102 // एतत स्थितिबन्धयंत्रकं 'अमणुक्कोसाउ विरय०" इत्यादिगाथाभिर्विवृतम् / 1 संयतस्य स्थितिबन्धः जघन्यः स्तोकः / 7 बाद० अप० उ० विशे० / 2 बाद० प० ज० असं०गुणः / / 8 मू० प० उ० विशे० / 3. सूक्ष्म प० ज. विशे०। / 4 बादर पर्या० उ० विशे० / 4 बा० अप० ज. विशे०। / 10 बे० प. ज. विशेः / 5 सू० अप० ज० विशे०। / 11 बे० अप० ज. विशे० / 6 सू० अप० उ० विशे०। / 12 बे० अप० उ० विशे। 1 “पलियासं०" इत्यपि / 2 "पणुवीसं" इत्यपि। 3 "निरयाउ' इत्यपि / 4 "टहरबंधे / माउसु जिट्टे वि"इत्यपि / 5 "साहिया" इत्यपि हस्तलिखितप्रतौ /

Loading...

Page Navigation
1 ... 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716