Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 679
________________ सप्ततिकासारम् नवरं एसा पज्जत्तगस्स जोग्गा मुणेयव्वा // 29 / / एवं चिय तीसा वि हु नवरं उज्जोयबंधगस्सेसा / एवं जा चउरिंदी बंधतिगं होइ एयं पि // 30 // पंचिंदियतिरियाणं मणुयाणं तह य होइ पाउग्गं / एयं चिय बंधतिगं संघयणाईहि नाणत्तं // 31 // अन्नं चुज्जोएणं तीसा न हु होइ मणुयपाउग्गा / . किं तु सुरा निरया वि य तित्थयरसमं कुणंति तयं // 32 // अडवीसे गुणतीसा तीसा इगतीसमेव एयाणि / / देवाणं पाउग्गाणि बंधठाणाणि चत्तारि // 33 // देवगई पंचिंदियजाई वेउव्वियं च चउरंसं / अंगोवंगं च तहा देवणुपुव्वी य नायव्वा // 34 // परघाऊसासपसत्थगमणतसबायरं च पज्जत्तं / पत्तेयं च थिराथिरसुभासुभाणं च एगयरं // 35 // सुभगं सुस्सरमेव य आइज्जजसाण दुन्हमेगयरं / . धुवबंधिणीण नवगम्मि मीलिए होइ अडवीसा // 36 // 'तित्थयरेणुगतीसा आहारदुगेण होइ पुण तीसा / तित्थयराहारदुगे य मीलिए हवइ इगतीसा // 37 // नेइइयाणं जोग्गा एक्कच्चिय बज्झए उ अडवीसा / . साहे सुराण भणिया नाणत्तं निरयसद्दाई // 38 // , . वीसा एक्कग चउ पण छ सत्त अट्ठ नवसमहिया वीसा। तीसेगतीस नव अट्ठ उदयठाणाणि बारस उ // 39 // तेणउई बाणउई नवढछहिँ समहिया असी असिई / . नवअट्टछपन्नत्तरि नवट्ठ बारस वि संताणि // 40 // ओहेणं भणियाई जप्पाउग्गाणि बंधठाणाणि / तह उदसत्ताणिहि वोच्छं चउगइविसेसेण // 41 // एगुत्तीसा तीसा वि य बंधठाणाणि दुन्नि निरयाणं / इगवीस पन्नवीसा सत्तद्वनवाहिया वीसा // 42 // 1 "तित्थयरे गुणतीसा" इत्यपि वा / 2 "एक्कविहा” इत्यपि वा।

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