Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 684
________________ श्रीमज्जिनवल्लभगणिप्रणीतम् // सार्धशतकनामप्रकरणम् // ( अपरनाम-सूक्ष्मार्थविचारसारोद्धारप्रकरणम् ) सयलंतरारिवीरं वंदिय वरनाणलोयणं वीरं / 'वोच्छं जहासुयमहं कम्माइवियारसारलवं // 1 // कीरइ जिएण हेऊहिँ पयइठिइरसपएसओ जं तं / मुलुत्तरद्वअडवनसयपमेयं भवे कम्मं // 2 // दसणनाणावरणंतरायमोहाउगोयवेयणियं नामं च नव-पण-पण-ऽट्ठवीस-चउ-दु-दु-बियालविहं // 3 // नयणेयरोहिकेवलदंसणआवरणयं भवे चउहा / निद्दापयलाहि छहा निदाइदुरुत्तथीणद्धी // 4 // नाणावरणं . मइसुयओहिमणोनाणकेवलावरणं / विग्धं दाणे लाभे भोगुवभोगेसु विरए य // // सोलस कसाय नव नोकसाय दंसणतिगं ति मोहणियं / नरयतिरिनरसुराऊ नीउच्चं सायमस्सायं // 6 // गइजाइतणुउवंगा बंधणसंघायणाणि संघयणा / संठाण वनगंधं रसफासणुपुव्विविहगगई . // 7 // पिंडपयडत्ति चउदस परघाउज्जोय आयवुस्सासं / अगुरुलहुतित्थनिमिणोवघायमिइ . अट्ठ . पत्तेया // 8 // तसबायरपज्जत्तं पत्तेयथिरं सुभं च सुभगं च / सुसरा एज्जजसं तसदसगं थावरदसं तु इमं // 9 // थावरसुहुमअपज्जं. साहारणमथिरमसुभदुभगाणि / दूसरणाएज्जाजस मिइ नामे सेयरा वीसं // 10 // तसचउ थिरछक्कं अथिरछक्क सुहुमतिग थावरचउक्कं / ..1 "वुच्छं" इत्यपि / 2 "०वण्णगंधरसफास अणु०" इत्यपि / 3 "०इज्ज०" इत्यपि / 4 "०मिय" * इत्यपि।

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